देश में महिलाओं को पहले वेद पढ़ने की इजाज़त नहीं थी. महिलाओं के गायत्री मंत्र पढ़ने पर भी रोक थी और ढेर सारे मंदिर ऐसे थे, जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. महिलाएं वेद पढ़ सकती हैं, गायत्री मंत्र जप सकती हैं. फिर शनिदेव के सबसे बड़े धाम शिंगणापुर में महिलाओं को शनि शिला पर तेल चढ़ाने की मनाही क्यों है ?
नई दिल्ली. देश में महिलाओं को पहले वेद पढ़ने की इजाज़त नहीं थी. महिलाओं के गायत्री मंत्र पढ़ने पर भी रोक थी और ढेर सारे मंदिर ऐसे थे, जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. महिलाएं वेद पढ़ सकती हैं, गायत्री मंत्र जप सकती हैं. फिर शनिदेव के सबसे बड़े धाम शिंगणापुर में महिलाओं को शनि शिला पर तेल चढ़ाने की मनाही क्यों है ?
इसी सवाल के साथ महिलाओं के एक संगठन ने आंदोलन छेड़ दिया है. वो शिंगणापुर में शनि पूजन पर अड़ी हैं, लेकिन शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट परंपराओं की दुहाई देकर उन्हें रोक रहा है. साधु-संतों का अखाड़ा परिषद महिलाओं के साथ है. महाराष्ट्र सरकार भी उनका समर्थन कर रही है. फिर भी शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट डरा रहा है कि परंपरा टूटी तो अनर्थ होगा.
अब ये बहस बड़ी हो गई है कि क्या शिंगणापुर में महिलाओं की पूजा से शनि नाराज़ होंगे ? क्या परंपरा के नाम पर महिलाओं का हक छीनना सही है ?
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