Telangana Assembly Election 2018: तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 के नीतीजे सामने आ गए हैं. राज्य में सत्ताधारी तेलुगू राष्ट्र समिती (टीआरएस) दो तिहाई बहुमत के साथ वापसी की है. जिसके बाद केसीआर ने दूसरे बार तेलंगाना की सत्ता संभालते हुए मुख्यमंत्री की शपथ ली है. वहीं चुनाव से पहले बना कांग्रेस का गठबंधन विफल साबित हुआ. टीआरएस को मिली इस बड़ी जीत को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अब वे दक्षिण भारत के नए सरदार बन गए हैं.
हैदराबाद. तेलंगाना विधानसभा की सभी 119 सीटों के नतीजे आ चुके हैं. सत्ताधारी तेलुगू राष्ट्र समिती (टीआरएस) को विधानसभा चुनाव 2018 की मतगणना में दो तिहाई बहुमत मिली है. यहां तक की राहुल गांधी की कांग्रेस, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, सीपीआई और पीपल्स फ्रंट भी मिलकर कुछ कमाल नहीं कर पाई है. और कांग्रेस गठबंधन कुछ ही सीटों पर कब्जा जमाता नजर आया है. इस स्थिती को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि समय से पहले विधानसभा भंग करने वाले केसीआर ही तेलंगाना के अगले मुख्यमंत्री होंगे. केसीआर को मिली इतनी बड़ी जीत बस एक सवाल कर रही है कि क्या के चंद्रशेखर राव दक्षिण भारत के नए सरदार बन गए हैं.
दरअसल काफी साल पहले साउथ इंडिया में एआईडीएमके के दिवंगत नेता एमजीआर जन नेता कहे जाते थे. उनके बाद दक्षिण भारत की सियासत में जय ललिता का नाम भी काफी मशहूर रहा. लेकिन उनकी मृत्यु के बाद पार्टी तितर-बितर हो गई. वहीं कर्नाटक का हाल भी कुछ ऐसा ही है. किसी समय कर्नाटक के किंग कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एचडी देवगौड़ा की लोकप्रियता भी धीरे-धीरे घट गई और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें कम सीटों पर संतोष करना पड़ा. हालांकि कांग्रेस की मदद से उनके बेटे कुमारस्वामी को कम सीट होने के बावजूद मुख्यमंत्री की गद्दी मिल गई. वहीं आंध्र प्रदेश में सत्ता पर बैठे चंद्रबाबू नायडू का भी कोई जादू कभी उनके सत्ता में रहे तेलंगाना की सीटों पर नहीं चल सका.
ऐसे में केसीआर को इस चुनाव में मिला जन समर्थन इशारा कर रहा है कि अब वे साउथ इंडिया के नए सरदार बन गए हैं. हालांकि इसके लिए केसीआर ने कम मेहनत नहीं की. आंध्र प्रदेश से तेलंगाना का विभाजन कराने के लिए उन्होंने इस्तीफा तक दे दिया. तेलंगाना बनने के बाद उनके हिस्से में 63 विधायक आए और उन्होंने अपनी सरकार बनाई. लेकिन बात सिर्फ यहां नहीं रुकी. कुछ महीनों पहले केसीआर ने समय से पहले विधानसभा भंग की जिससे 2019 में होने वाला विधानसभा चुनाव 2018 में हो गया और केसीआर के भरोसे के मुताबिक उन्होंने राज्य में एक बार फिर पहले से भी ज्यादा बड़ी जीत हासिल की है.