तेलंगाना. तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आ रहे हैं और तेलंगाना में दो तिहाई बहुमत जुटाकर दोबारा सरकार बनाने जा रहे टीआरएस चीफ केसीआर चंद्रशेखर राव और ज्यादा बड़े और मजबूत होकर उभरे हैं. केसीआर अपनी पार्टी को जनता के समर्थन को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने समय से पहले विधानसभा भंग कर दी और चुनाव करा लिए. ऐसे तेलंगाना में अगले साल आम चुनाव के साथ ही चुनाव होना था लेकिन तब राष्ट्रीय राजनीति की वजह से कोई नुकसान ना हो जाए, इसलिए केसीआर ने अपने राज्य में समय से पहले चुनाव कराया ताकि स्थानीय मुद्दे पर चुनाव लड़ा और जीता जाए. उनकी रणनीति कामयाब रही.
केसीआर की रणनीति इतनी कारगर रही कि टीडीपी, सीपीआई समेत चार पार्टियों के गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस के पीपुल्स फ्रंट को 20 सीटों के आस-पास संतोष करना पड़ रहा है जबकि टीआरएस 88 सीटों के आस-पास आगे चल रही है या जीत चुकी है. तो आइए समझते हैं कि तेलंगाना में केसीआर की टीआरएस की भव्य जीत के 7 बड़े कारण क्या हैं.
तेलंगाना में केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव की टीआरएस की बड़ी जीत के सात कारण
1. टीआरएस की लोकप्रियता- तेलंगाना को राज्य बनाने की लंबी लड़ाई लड़ चुके उनकी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र संघर्ष समिति चीफ के चंद्रशेखर राव ने मनमोहन सिंह सरकार से इसी मसले पर इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 में जब आखिरी बार संयुक्त आंध्र प्रदेश विधानसभा के चुनाव हुए तो उनकी पार्टी टीआरएस को 119 सीटों वाली नवगठित तेलंगाना विधानसभा में 63, कांग्रेस को 21, चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को 15, असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम को 7 और भाजपा को 5 सीटों पर जीत हासिल हई थी. इस बार केसीआर ने 88 सीटों के आस-पास जीत का फिगर रखा है जो बताता है कि टीआरएस की लोकप्रियता पांच साल सरकार चलाने के बाद घटने के बदले और बढ़ी है. सत्ता विरोधी लहर जैसी कोई चीज टीआरएस के खिलाफ नहीं थी.
2. केसीआर की साफ-सुथरी छवि: टीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव को तेलंगाना के अलग राज्य के आंदोलन का सबसे बड़ा नेता और चेहरा माना जाता है और इसका फायदा उन्हें 2014 के चुनाव में भी मिला था और इस बार भी. इस बार बोनस में रहा पांच साल सरकार चलाने के बाद भी जनता के मन में उनकी साफ-सुथरी छवि. कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक केसीआर पर लगातार भ्रष्टाचार और परिवार की कमाई के आरोप लगा रहे थे लेकिन जनादेश से साफ है कि जनता उन आरोपों से इत्तेफाक नहीं रखती.
3. लोकसभा चुनाव से अलग समय से पहले विधानसभा चुनाव कराना: चंद्रशेखर राव को पता था कि अगर समय पर चुनाव हुए तो वो 2019 में लोकसभा चुनाव के साथ होंगे और तब वोटर राष्ट्रीय राजनीति के माहौल में वोट करेगा और उस समय राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा हो सकता है. तेलंगाना के केस में ये फायदा कांग्रेस या बीजेपी कोई भी उठा सकते थे. इसलिए उन्होंने समय से पहले विधानसभा भंग कर दी और समय से पहले चुनाव कराया ताकि चुनाव पूरी तरह तेलंगाना के मसले पर हो और उसका फायदा उन्हें मिले. उनकी ये रणनीति काम कर गई.
4. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के बदले 4000 रुपए हेक्टेयर प्रति फसल सीजन सालाना- केसीआर यानी के चंद्रशेखर राव ने किसानों की तकलीफ दूर करने के लिए ट्रेडिशनल एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से एक कदम आगे बढ़कर प्रति हेक्टेयर प्रति फसल सीजन 4000 रुपए की नकद सहायता शुरू कर दी. इससे किसानों को हर साल प्रति हेक्टेयर कम से कम 8000 रुपया मिलने लगा. जिन किसानों के पास 5 हेक्टेयर जमीन थी उन्हें फसल लगाने से पहले ही 40 हजार रुपए नकद मिलने लगे. यही वजह रही कि कांग्रेस, टीडीपी, सीपीआई और तेलंगाना जन समिति के गठबंधन पीपुल्स फ्रंट के शानदार वोटगणित के बाद भी टीआरएस को दो तिहाई बहुमत मिला.
5. शादी में लड़की के परिवार को एक लाख रुपया की नकद सहायता- जमीन से जुड़े नेता होने के नाते केसीआर को पता था कि लोग बेटियों की शादी में मदद मांगते हैं. उन्होंने सरकार की तरफ से किसी भी लड़की की शादी के लिए परिवार को 1 लाख रुपए की नकद सहायता की सरकारी स्कीम कल्याण लक्ष्मी शुरू कर दी. वोट बैंक ऐसे ही तो खड़ा होता है.
6. बुजुर्ग, विधवा और विकलांगों को पेंशन, हर घर को फायदा: केसीआर ने राज्य में बुजुर्गों, विधवा और विकलांगों को सीधे पेंशन की स्कीम शुरू की. परिवार किसी का हो, हर परिवार में कोई ना कोई बुजुर्ग होता है, कोई विधवा होती है. ऐसे में इस स्कीम ने राज्य के हर परिवार में केसीआर की लोकप्रियता को और बढ़ाया.
7. गरीबों के लिए दो कमरे का घर, टू बीएचके घर ने बढ़ाई वोटरों की आस: केसीआर की टीआरएस के लिए गरीब परिवारों के लिए एक कमरे का कमरा नहीं दो कमरे का घर बनवाने का ऐलान और उन मकानों का काम शुरू करवाना वोटरों के बीच आस जगा गया कि दो कमरे का घर मिले इसके लिए केसीआर का सरकार में बने रहना जरूरी है. केसीआर ने इन सारे घरो में बिजली, पानी की सीधी आपूर्ति का वादा किया है. अब वोटर को और क्या चाहिए.
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