नई दिल्ली. भारत में व्हॉट्सएप के जरिए फर्जी खबर के फैलने की जांच करने के लिए व्हॉट्सएप मैसेज की ट्रेसबिलिटी की कोशिश की जा रही है. इसके लिए दबाव डालने के साथ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास के एक प्रोफेसर ने बुधवार को जोर देकर कहा कि एंड टू एंड एन्क्रिप्शन को हटाए बिना और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता को प्रभावित किए बिना इस मुद्दे को आसानी से हल किया जा सकता है. वी कामाकोटी ने यहां इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में जानकारी देते हुए कहा कि अगर व्हाट्सएप कहता है कि मैसेज भेजने वाले की जानकारी दिखाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है, तो मैं यह दिखा सकता हूं कि यह संभव है.
जब कोई मैसेज व्हाट्सएप से भेजा जाता है, तो मैसेज के साथ-साथ उसे भेजने वाले की पहचान भी बताई जा सकती है. इसलिए मैसेज और भेजने वाले की पहचान केवल मैसेज प्राप्तकर्ता द्वारा देखी जा सकती है. जब वह प्राप्तकर्ता मैसेज को आगे बढ़ाता है, तो उसको अगले प्राप्तकर्ता को पहचान दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि अदालत के फैसले के अनुसार, जो लोग एक हानिकारक संदेश भेजते हैं, उन्हें भी कुछ मामलों में जिम्मेदार ठहराया जा सकता है.
उन्होंने कहा, इस तरह, आपको एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने और किसी की गोपनीयता का उल्लंघन करने की आवश्यकता नहीं है. किसी भी सुरक्षा से समझौता किए बिना भी व्हॉट्सएप को संदेशों और मैसेज भेजने वालों का पता लगाने योग्य बना सकते हैं यदि जांच एजेंसियां पता लगाना चाहती हों तो और यदी हमने व्हाट्सएप को अनुमानित किया हो. दरअसल मैसेजिंग सेवा पर फैली अफवाहों से जुड़े पिछले साल के कई मामलों के बाद भारत ने व्हाट्सएप संदेशों की ट्रेसेबिलिटी के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था. व्हाट्सएप ने यह सुनिश्चित किया है कि ट्रेसेबिलिटी की अनुमति देने से उसका एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन खत्म हो जाएगा जो यह सुनिश्चित करता है कि केवल मैसेज भेजने वाला और प्राप्तकर्ता मैसेज देख सकते हैं यहां तक की व्हाट्सएप भी नहीं.
WhatsApp Latest Update: व्हाट्सएप चैट में ही कर सकेंगे फोटो एडिट, जल्द आ रहा है नया फीचर
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