नई दिल्ली: बदलते समय के साथ टेक्नोलॉजी ने हर क्षेत्र में अपनी जगह बना ली है। अब बच्चों की देखभाल के लिए भी स्मार्ट गैजेट्स और ऐप्स बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें ‘बेबीटेक’ कहा जाता है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक बॉटल वॉर्मर, रोबोटिक पालना, स्मार्ट बेबी मॉनिटर और डायपर सेंसर जैसी चीजें शामिल हैं, जो पैरेंट्स की जिंदगी को आसान बना रही हैं।

बेबीटेक के फायदे

मेट्रो सिटीज में न्यूक्लियर फैमिली कल्चर बढ़ रहा है, जहां अधिकतर यंग पैरेंट्स नौकरीपेशा होते हैं। ऐसे में बच्चों की परवरिश के लिए उनके पास सीमित समय होता है। इसलिए बेबीटेक उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

टाइम मैनेजमेंट: स्मार्ट गैजेट्स पैरेंट्स को बच्चे की देखभाल के लिए अलर्ट भेजते हैं, जैसे दूध पिलाने और डायपर बदलने की रिमाइंडर।

नींद और आराम: रोबोटिक झूले बच्चे को खुद झुलाते हैं, जिससे पेरेंट्स को आराम मिलता है।

24×7 मॉनिटरिंग: स्मार्ट कैमरा और बेबी मॉनिटर से माता-पिता कहीं से भी अपने बच्चे पर नजर रख सकते हैं।

सावधानी और नुकसान

टेक एक्सपर्ट ब्रायन चेन के अनुसार, बेबीटेक प्रोडक्ट खरीदने से पहले उनकी जरूरत और उपयोगिता को समझना जरूरी है।

हर गैजेट जरूरी नहीं: सिर्फ ट्रेंड के कारण महंगे प्रोडक्ट खरीदना सही नहीं है। 5 हजार रुपये की नाइट लाइट या 4 हजार की बॉटल वॉर्मर आवश्यक नहीं हो सकती।

इमोशनल कनेक्शन पर असर: अगर पैरेंट्स पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो जाते हैं, तो बच्चे के साथ उनका इमोशनल बॉन्ड कमजोर हो सकता है।

ओवररिलायंस का नुकसान: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक टेक्नोलॉजी का उपयोग बच्चों के नैचुरल बिहेवियर और इमोशनल ग्रोथ पर असर डाल सकता है।

सही बेबीटेक कैसे चुनें?

बच्चे की वास्तविक जरूरतों के अनुसार ही गैजेट खरीदें।

महंगे प्रोडक्ट्स की जगह कंफर्ट को प्राथमिकता दें।

देखा-देखी में खरीदारी करने के बजाय पहले प्रोडक्ट के फायदे-नुकसान समझें।

बेबीटेक सुविधाजनक तो है, लेकिन पैरेंट्स को बच्चों की परवरिश में संतुलन बनाए रखना जरूरी है, ताकि टेक्नोलॉजी की सुविधा के साथ पेरेंटिंग का नेचुरल टच भी बना रहे।

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