नई दिल्ली: डिजिटल युग में यदि लोग किसी भी तरह सॉफ्टवेयर या गैजेट चलाना नहीं जानते है तो वे तुरंत गूगल या यूट्यूब की मदद लेते हैं. ज्यादातर लोग यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर जाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां वे विजुअल्स के जरिए आसानी से समझ पाते हैं कि कैसे कोई काम करना है. अगर आप […]
नई दिल्ली: डिजिटल युग में यदि लोग किसी भी तरह सॉफ्टवेयर या गैजेट चलाना नहीं जानते है तो वे तुरंत गूगल या यूट्यूब की मदद लेते हैं. ज्यादातर लोग यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर जाना पसंद करते हैं क्योंकि वहां वे विजुअल्स के जरिए आसानी से समझ पाते हैं कि कैसे कोई काम करना है. अगर आप भी ट्यूटोरियल वीडियो यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर ज्यादा देखते हैं तो अब सावधान हो जाएं क्योंकि हैकर इन वीडियो के माध्यम से आपके डिवाइस पर मालवेयर इंस्टॉल कर रहे हैं।
साइबर सिक्योरिटी फर्म क्लाउडसेक के रिसर्चर्स ने कहा कि यूट्यूब वीडियो के माध्यम से होने वाले फ्रॉड की संख्या 200 से 300 प्रतिशत बढ़ गई है. हैकर्स इन वीडियो के माध्यम से लोगों के सिस्टम में मालवेयर जैसे Raccoon, Redline और Vidar को इंस्टॉल कर रहे हैं।
दरअसल, यह तब होता है जब आप यूट्यूब पर कोई ट्यूटोरियल वीडियो देखते हैं तो इसके नीचे डिस्क्रिप्शन में ऐप या सॉफ्टवेयर का लिंक दिया जाता है ताकि आप उसे आसानी से डाउनलोड कर सकें। इन लिंक में हैकर्स एक सॉफ़्टवेयर छिपाकर रखते हैं जो आपके डिवाइस में इंस्टॉल हो जाता है और फिर वो आपकी पर्सनल डाटा जैसे कि बैंक डिटेल इत्यादि चुरा लेते हैं. खासकर वीडियो के माध्यम से जहां लोग ऐप का क्रैक वर्जन ढूंढते हैं. जैसे एडोब प्रीमियर प्रो का पेड वर्जन कुछ लोग नहीं चलाना चाहते तो ऐसे में वे सॉफ्टवयेर का क्रैक वर्जन डाउनलोड करने का तरीका यूट्यूब प्लेटफॉर्म पर ढूंढते हैं और स्कैम की शुरुआत यहीं से होती है।
सलाह यही दी जाती है कि आप किसी भी सॉफ्टवेयर का आधिकारिक वर्जन या पेड वर्जन का ही प्रयोग करें. यदि आप क्रैक वर्जन किसी वेबसाइट या थर्ड पार्टी से अपने सिस्टम में इंस्टॉल करते हैं तो आपके साथ स्कैम हो सकता है. डिजिटल जमाने में अपने डाटा को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका इंटरनेट का इस्तेमाल सावधानी से करें।
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