वोडाफोन और आइडिया को विलय के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की ओर से मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में पिछले 15 सालों के नंबर वन पर कब्जा जमाए एयरटेल से ये ताज छिन गया है. जहां आइडिया के शेयरों में तेजी आई है वहीं एयरटेल के शेयर्स की कीमत में गिरावट दर्ज हुई है.
नई दिल्ली. वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर का अब पूरी तरह विलय हो चुका है. दरअसल नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने दोनों टेलिकॉम कंपनियों को मर्जर की इजाजत दे दी है. इस मर्जर के साथ ही अब भारती एयरटेल देश की नंबर वन टेलीकॉम कंपनी नहीं रही. बता दें कि रिलाइंस जियो की शुरुआत के बाद से टेलीकॉम की अन्य कंपनियों की कमाई में भारी गिरावट आई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि कोई भी कंपनी जियो के सस्ते टैरिफ का मुकाबला नहीं कर पायीं. यही वजह है कि 20 मार्च 2017 को आइडिया और वोडाफोन ने साथ आने की घोषणा कर दी. कंपनी ने एक बयान जारी कर इस विलय की जानकारी दी. मर्जर के बाद बनी नई कंपनी सब्सक्राइबर और आय के मामले में नंबर वन हो गई. नई कंपनी के पास 40.8 करोड़ सब्सक्राइबर हैं.
वहीं इस विलय के ठीक बाद से आइडिया के शेयरों में तेजी दिखाई पड़ी. शुक्रवार को इसके भाव में 1.81 प्रतिशत की तेजी आई और शेयर की कीमत 50.75 रुपये हो गई. वहीं एयरटेल के शेयरों के साथ उलटा हुआ. इनके भाव में 0.25 फीसदी की गिरावट आई. अभी एयरटेल के शेयर का भाव 382.75 रुपये है.
बता दें कि पिछले 15 सालों से भारती एयरटेल देश की नंबर वन टेलीकॉम कंपनी रही है. वहीं नई कंपनी 9 सर्किल में नंबर वन है और भारत के टेलीकॉम सेक्टर में इनका अब 32.2 फीसदी हिस्सा है. विलय के बाद से आइडिया में 6700 करोड़ और वोडाफोन में 8600 करोड़ रुपए निवेश होगा. इस नई कंपनी की आय 60 हजार करोड़ होगी और इसके ऊपर 1.15 लाख करोड़ का कर्ज है.
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