नई दिल्ली. भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने कथित तौर पर गूगल और एप्पल को अपने ऐप स्टोर से वीडियो शेयर करने वाली चीनी एप्लिकेशन टिक टॉक को हटाने के लिए कहा है. इस आदेश से पहले सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट द्वारा 3 अप्रैल को दिए आदेश पर टिकटोक की याचिका को खारिज कर दिया था ताकि ऐप के डाउनलोड पर प्रतिबंध लगाया जा सके.
3 अप्रैल को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने एक आदेश पारित कर सरकार को देश में टिकटॉक के डाउनलोड पर रोक लगाने का निर्देश दिया. फिर इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया, जिसने इस आधार पर आदेश को रोकने से इनकार कर दिया कि यह मामला अभी भी उप-न्यायिक है और कोर्ट 22 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगा.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टिकटोक ने आदेश को अपमानजनक, भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया है और प्रतिबंध पर कोई टिप्पणी नहीं की है. अपने बचाव में, टिक टॉक का कहना है कि इसे उस तरह की सामग्री के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, जो प्लेटफ़ॉर्म पर थर्ड-पार्टीज अपलोड करती हैं. यह वही तर्क है जो फेसबुक और यूट्यूब द्वारा संबंधित प्लेटफार्मों पर साझा की गई सामग्री का बचाव करते हुए उपयोग किया जाता है.
बता दें कि चीनी कंपनी बाइटडांस के पास टिक टॉक के अधिकार हैं. ये दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यू वाली स्टार्टअप कंपनी है. पिछले एक साल में टिक टॉक एप की लोकप्रियता में बढ़ौतरी हुई है. पहले इस एप का नाम म्यूजिकली थी बाद में जिसे बदलकर टिक टॉक कर दिया गया. दुनियाभर में तकरीबन 100 करोड़ से ज्यादा बार इस एप को डाउनलोड किया जा चुका है.
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