नई दिल्ली: आज दुनियाभर में सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी को देखा जा सकता है. लोग सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए कई तरह की अतरंगी हरकतें भी करते नजर आते हैं. सोशल मीडिया पर अतरंगी हरकतें करने के मामले में सिर्फ बच्चे ही बल्कि उम्रदराज लोग भी शामिल है. वीडियो बनाने किए गए […]
नई दिल्ली: आज दुनियाभर में सोशल मीडिया के प्रति दीवानगी को देखा जा सकता है. लोग सोशल मीडिया पर फेमस होने के लिए कई तरह की अतरंगी हरकतें भी करते नजर आते हैं. सोशल मीडिया पर अतरंगी हरकतें करने के मामले में सिर्फ बच्चे ही बल्कि उम्रदराज लोग भी शामिल है. वीडियो बनाने किए गए प्रयासों के कारण कई क्रिएटर अपनी जान तक की बाजी लगा देते हैं. जिसमें कई क्रिएटर्स की मौत तक हो जाती है. अब ऐसा कोई दिन नहीं होता जब वीडियो बनाने के चक्कर में किसी की मौत की खबर न आए.
रील रिकॉर्ड करने के चक्कर में 19 मई को जैसलमेर के गड़ीसर लेक में पीयूष और संजय नामक युवकों की मौत हो गई. 19 मई को ही जबलपुर में रील बनाते वक्त नर्मदा नदी में छलांग लगा दी. 20 मई को झारखंड खदान से भरे पानी के गड्डे में छलांग लगाई जिससे उसकी मौत हो गई, संत कबीरनगर में कुआनों नदी भी एक लड़का रील बनाते-बनाते मर गया. इसके अलावा गोरखपुर की सरयू नदी में रील बना रहे युवक की मौत हो गई.
1. भारत में रील बनाने का क्रेज शहरों से हटकर अब गांव की ओर चला गया है. गांव में पुरुष और महिला फॉलोवर बढ़ाने के लिए अजीब तरह की रील बनाती हैं. उन्हें लगता है कि यदि एक बार सोशल मीडिया पर फॉलोवर बढ़ गए तो इंस्टाग्राम रील से वे पैसे कमा सकते हैं, जिससे आस-पास के लोग उनकी इज्जत करना शुरू कर देंगे. लेकिन अगर देखा जाए तो हकीकत में तो इंस्टाग्राम रील बनाने के लिए किसी तरह का कोई पैसा देता है.
2. दिखावा- पहले से कामयाब हो चुके क्रिएटर्स सोशल मीडिया पर अपनी नई-नई गाड़ियां, महंगे कपड़े, घड़ियां, आईफोन जैसी चीजों का दिखावा करते हैं. जिससे मोटिवेशन लेकर एक सामान्य युवा, बिना किसी प्रतिभा के रील पोस्ट करने लगता है.
अभी हाल ही में नोएडा पुलिस ने कुछ लड़कियों को अश्लीलता फैलाने के जुर्म में किया था. गिरफ्तार की गई लड़कियों के पास जुर्माना भरने तक के पैसे नहीं थे. पैसे के लिए ही वे सार्वजनिक जगहों पर अश्लील वीडियो बनाती हैं, क्योंकि पब्लिक प्लेसेज पर बनाई गई वीडियों पर लोगों का जल्दी ध्यान खींचा जा सकता है.
लेकिन रील बनाने वाले युवा सच्चाई से अनजान हैं. भारत में तकरीबन 8 करोड़ से अधिक क्रिएटर हैं, लेकिन उनमें से मात्र 150000 ही क्रिएटर्स को पैसा मिलता है. बाकी क्रिएटर्स को किसी तरह का कोई पैसा नहीं मिलता है. भारत में पैसे कमाने वाले क्रिएटर्स की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है.
बात करें सोशल मीडिया की पॉजिटिव साइड्स की तो भारत सरकार ने अभी हाल ही में कुछ मशहूर क्रिएटर्स को अवार्ड्स से भी सम्मानित किया है. रील्स देखने वाले दर्शकों को दूसरे व्यक्ति से प्रेरणा मिलती है और वह भी कुछ नया करने के लिए प्रेरित होता है. इसके अलावा रील्स को एक नियमित समय के लिए देखने से लोगों को तनाव कम करने में भी मदद मिलती हैं.
सोशल मीडिया वर्तमान समय में बड़ी-बड़ी कंपनियों को अपने ग्राहकों तक पहुंचनें का एक जरिया बन चुका है. दुनिया के 77 फीसदी कंपनियां अपने कस्टमर्स तक पहुंचने के सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं. सोशल मीडिया में लगभग 90 फीसदी लोग कम से कम एक ब्रांड को फॉलो तो करते ही हैं. तो वहीं 76 फीसद ऐसे ग्राहक भी हैं जिन्होंने सोशल मीडिया पर देखकर कोई चीज खरीदी है.
सरदार पटेल विद्यालय की प्रिंसिपल ने कहा,’ मैं प्रतिदिन हर उम्र के बच्चों के साथ डील करती हूं. यदि हमारे यहां शराब पीनें, वोट देने, शादी करना और गाड़ी चलानें की एक समय सीमा है तो अब सरकार को बच्चों के फोन उपयोग में लाने के लिए भी एक समय सीमा तय कर देनी चाहिए. 16 से कम उम्र के बच्चों को फोन नहीं देना चाहिए ऐसा इसलिए करना चाहिए कि जब फोन हाथ में आए तो एक जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए. डॉक्टर का भी यही मानना है कि अब समय आ गया है जब इसके उपयोग को लेकर कोई नियम बने और उन नियमों का सख्ती से पालन भी होना चाहिए.