नई दिल्ली: डिजिटल युग में हैकिंग और डेटा लीकेज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी सिलसिले में अब एक नई घटना ने इस बढ़ती समस्या की ओर फिर से लोगों का ध्यान खींचा है। रेडक्लिफ लैब्स(Redcliffe Labs) नामक व्यापारिक संगठन की तरफ से बनाए गए एक डेटाबेस में मौजूद डेटा लीक हो गया […]
नई दिल्ली: डिजिटल युग में हैकिंग और डेटा लीकेज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी सिलसिले में अब एक नई घटना ने इस बढ़ती समस्या की ओर फिर से लोगों का ध्यान खींचा है। रेडक्लिफ लैब्स(Redcliffe Labs) नामक व्यापारिक संगठन की तरफ से बनाए गए एक डेटाबेस में मौजूद डेटा लीक हो गया है, जिसके परिणाम स्वरूप लगभग 1.2 करोड़ मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट हैकर्स के हाथ लग गई है।
रेडक्लिफ लैब्स(Redcliffe Labs) का डेटाबेस बीमारियों की चिकित्सा सुविधाओं से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को जमा करता है। इसमें रोगी की पूरी मेडिकल हिस्ट्री, परीक्षण, उपचार और उनकी रिपोर्टें शामिल होती हैं। यह डेटा गोपनीय होता है और इसका अवैध उपयोग किसी भी जनगणना या व्यक्तिगत के लिए दुखदायक हो सकता है। सुरक्षा अधिकारियों ने इस मामले की जांच की शुरुआत कर दी है और वे यह जानने का प्रयास कर रहे हैं कि इस हैकिंग का उद्देश्य क्या था और डेटा का इस्तेमाल किस तरह से किया गया।
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हैकर्स द्वारा किए गए इस हमले में डेटाबेस का सभी रिकॉर्ड उनके पास पहुंच गया है, जिससे दस्तावेजों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई। इसमें रोगीयों के नाम, पता, उम्र, जाति और उनकी रोगी योग्यता के साथ-साथ, उनकी मेडिकल रिपोर्टें भी शामिल हैं। इस घटना ने फिर एक बार साबित किया है कि डिजिटल डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता के मामले में हमें सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता हैं। डेटा लीकेज से बचाव के लिए और भी मजबूत सुरक्षा उपायों को अपनाने की आवश्यकता है, ताकि रोगियों की गोपनीयता और मेडिकल डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा लोगों को भी अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की आवश्यकता है। वे अपने ऑनलाइन सुरक्षा के लिए मौजूद सुरक्षा उपायों का सही तरीके से उपयोग करें।