September 23, 2024
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भारत में यूपीआई फीस का विरोध, क्या खत्म हो पाएगा कैश का चलन?

नई दिल्ली: भारत में यूपीआई (UPI) ने तेजी से अपनी पहचान बनाई है और अब यह पेमेंट का एक प्रमुख साधन बन गया है। इसकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि अब कई विदेशी देश भी इस प्रणाली को अपनाने लगे हैं। हर महीने यूपीआई ट्रांजेक्शन में वृद्धि हो रही है, जिससे लोगों के कैश उपयोग में कमी आई है। हाल ही में एक सर्वे से एक चौंकाने वाली बात सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि अगर यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई फीस लगाई जाती है, तो लगभग 75 प्रतिशत लोग इसका उपयोग बंद कर देंगे।

यूपीआई ट्रांजेक्शन पर फीस

एक रिपोर्ट के अनुसार, बिजनेस स्टैंडर्ड ने रविवार को बताया कि लोगों को यूपीआई ट्रांजेक्शन पर किसी भी तरह की फीस स्वीकार्य नहीं है। सर्वे में यह पाया गया है कि लगभग 37 प्रतिशत लोग अपने कुल खर्च का 50 प्रतिशत यूपीआई के जरिए कर रहे हैं। डिजिटल लेनदेन के लिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड का उपयोग भी तेजी से कम हो रहा है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार केवल 22 प्रतिशत लोग ही यूपीआई ट्रांजेक्शन पर फीस चुकाने को तैयार हैं, जबकि 75 प्रतिशत से अधिक लोग इसके खिलाफ हैं। इस सर्वे में 308 जिलों के लगभग 42,000 लोगों से सवाल पूछे गए थे।

ट्रांजेक्शन का आंकड़ा

नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई ट्रांजेक्शन की संख्या में 57 प्रतिशत और लेनदेन की राशि में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यूपीआई ट्रांजेक्शन का आंकड़ा पहली बार 131 अरब को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 84 अरब था और अब मूल्य के हिसाब से यह 199.89 ट्रिलियन रुपये पर पहुंच गया है।

फीस का कड़ा विरोध कर

यह सर्वे 15 जुलाई से 20 सितंबर के बीच ऑनलाइन किया गया था और इसके परिणाम वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भेजे जाएंगे। सर्वे के मुताबिक यूपीआई अब हर 10 में से 4 यूजर्स के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. इसलिए लोग किसी भी प्रकार की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट फीस का कड़ा विरोध कर रहे हैं।

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