नई दिल्ली : रविवार को हुई नेपाल विमान हादसे में कोई नहीं बचा. सभी 72 लोगो की जान जा चुकी है जिसमें यात्रियों, क्रू समेत पायलट भी शामिल हैं. प्लेन क्रैश की जांच के लिए एक समिति भी बनाई गई है।
यह समिति जांच करेगी कि प्लेन क्रैश का क्या कारण था। इसके लिए ‘ब्लैक बॉक्स’ को भी खोजा जाएगा। ब्लैक बॉक्स से ही पता चलेगा कि हादसे से पहले विमान में क्या चल रहा था।
कल नेपाल में एक बड़ा विमान हादसा हुआ. नेपाल के पोखरा में यति एयरलाइंस का ATR-72 विमान क्रैश हो गया, जिससे विमान में सवार सभी यात्रियों के मारे जाने की खबर है। इस विमान में सवार 4 क्रू मेंबर्स समेत 68 यात्री सवार थे. इस हादसे की वजह अब तक सामने नहीं आयी है।
अभी इस दुर्घटना की छानबीन चल रही है. बताया जा रहा है कि तकनीकी खराबी या मानवीय त्रुटि के वजह से ये हादसा हुआ. पूरी जांच के बाद ही क्रैश की वजह सामने आएगी. बता दें, जांच कमेटी ब्लैक बॉक्स की भी खोज कर रही है. ब्लैक बॉक्स से ही पता चलेगा कि क्रैश से पहले विमान में क्या हो रहा था।
ब्लैक बॉक्स एक ऐसा डिवाइस है जो विमान में लगा होता है. इसका काम एयरक्राफ्ट और फ्लाइट पैरामीटर्स की परफॉर्मेंस को रिकॉर्ड करना होता है. इसमें कई फैक्टर्स एयरस्पीड, अल्टीट्यूड. वर्टिकल एक्सलेरेशन और फ्यूल फ्लो रिकॉर्ड होते है। आसान भाषा में इसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर भी कहते है।
इसमें कंपोनेंट फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और एक कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) दो कंपोनेंट्स होते है. CVR ये कॉकपिट में हुए बातचीत को रिकॉर्ड करता है. इसमें चल रहे पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के साथ हुई बातचीत कोblack रिकॉर्ड किया जाता है. CVR में मुश्किल यह है कि 2 घंटे की कॉकपिट रिकॉर्डिंग हो पाती है. जबकि FDR में 25 घंटों से ज्यादा तक की रिकॉर्डिंग को स्टोर किया जा सकता है.
ब्लैक बॉक्स को प्लेन के सबसे पीछे लगाया जाता है. बताया जाता है कि ये क्रैश में सर्वाइव कर जाता है क्योंकि ये विमान में सबसे कम प्रभावित वाला हिस्सा होता है. ये डिवाइस 3,400 Gs या ग्रेविटेशनल एक्सीलरेशन को भी सर्वाइव करता है. इसके अलावा ये 1100 °C तापमान और 20,000 फिट डेप्थ अंडर वाटर प्रेशर को भी झेलता है. हालांकि, ब्लैक बॉक्स सिर्फ नाम का ब्लैक है, इसका रंग गहरा नारंगी (ऑरेंज) रंग का होता है.
ANC ATR 72 के मामले में ब्लैक बॉक्स को खोजकर पता लगाया जाएगा कि विमान सही अल्टीट्यूड पर उड़ रही थी या नहीं. ग्राफ के अनुसार, विमान की अल्टीट्यूड लिमिट से ज्यादा थी. हालांकि, ब्लैक बॉक्स के मिलने से पता चल पाएगा कि फ्लाइट के दौरान पायलट को लो फ्यूल या कम्युनिकेशन में कोई परेशानी आ रही थी या नहीं।
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