नई दिल्ली : भारत में पहली GSM कॉल किस कंपनी के फोन से हुई थी? क्यों चौक गए ना आप भी? कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा. आज आप जो मोबाइल फ़ोन्स अपने हाथ में देखते हैं वो आज अचानक से तो नहीं आए. इसके पीछे भी कई दशकों का इतिहास […]
नई दिल्ली : भारत में पहली GSM कॉल किस कंपनी के फोन से हुई थी? क्यों चौक गए ना आप भी? कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आया होगा. आज आप जो मोबाइल फ़ोन्स अपने हाथ में देखते हैं वो आज अचानक से तो नहीं आए. इसके पीछे भी कई दशकों का इतिहास रहा है. आज हम आपको आज़ादी के बाद से आज तक का भारत में मोबाइल का सफर बताने जा रहे हैं.
एक समय था जब भारतीय बाजार में नोकिया की तूती बोलती थी. तब फोन का मतलब ही नोकिया था और फिर एक दिन इस कंपनी की बाजार से विदाई हो गई. आज के समय की बात करें तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन बाजार है. लेकिन आज़ादी के बाद इसमें क्या-क्या बदलाव आए?
क्या आप एक प्रीपेड सिम कार्ड के लिए 4,900 रुपये देंगे? आप सच कह रहे हैं ये तो बेवकूफी है. लेकिन एक समय था जब प्रीपेड इतना ही महंगा हुआ करा था. उस समय आपको 17 रुपये प्रति मिनट की दर से इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल्स मिला करती थीं. ये कीमतें चौंका देने वाली जरूर है लेकिन कभी भारत में लोग टेलीकॉम सर्विसेस के लिए इतने पैसे ही खर्च करते थे.
साल 1995 में GSM सर्विसेस की शुरु हुई. तत्कालीन पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बसु और केंद्रीय टेलीकॉम मिनिस्टर सुख राम के बीच भारत के इतिहास की पहली GSM कॉल की गई. यह ऐतिहासिक था. जल्द ही देश में 5G नेटवर्क की लॉन्चिंग होने जा रही हैं, लेकिन उस दौर में पहली GSM कॉल से ही देश में आज के दौर की नींव पड़ी थी. ये कॉल Nokia के हैंडसेट से हुई थी जो उस दौर के हैवी फोन्स हुआ करते थे. कार्डलेस जैसे डिजाइन वाले ये फ़ोन्स लैंडलाइन वाली मजबूरियों के साथ आते थे. Philips से लेकर Nokia तक कई सारे ब्रांड्स भी मौजूद थे. आज इन ब्रांड्स का नाम केवल एक याद है.
साल 2002 में भारतीय बाजार में CDMA आया. CDMA को टेलीकम्युनिकेशन की दूसरी पीढ़ी कहा जाता था. उस वक्त GSM सर्विस मार्केट में पहुँच चुकी थी. Tala Tele और Reliance ने CDMA के जरिए ही मार्केट में एंट्री की. इस समय तक कई फीचर्स फोन्स मार्केट में आ चुके थे. नोकिया के छोटे फीचर्स फोन्स का दबदबा था. सैमसंग ने भी एंट्री कर ली थी और CDMA सर्विसेस के साथ सैमसंग नए रास्ते से प्रवेश कर चुका था.
साल 2004 में मोबाइल फोन्स कनेक्शन्स की संख्या लैंडलाइन सब्सक्राइबर्स से अधिक हुई. यहां से नए युग की शुरुआत हो गई थी. किसी ने नहीं सोचा था की अगले एक दशक में ये पूरी तरह बदल जाएगा. इस एक दशक में फीचर्स फोन्स में फीचर आने लगे. कॉल के अलावा फोन्स का ये सफर अब कैमरा वाले फोन्स, मज्यूजिक प्लेयर और वीडियो प्लेयर्स वाले फोन्स तक आ गया.
2004 से 2014 के बीच भारत में एंड्रॉयड और आईफोन का दौर शुरू हुआ. फीचर्स फोन्स के मार्केट में नोकिया का दबदबा खत्म हो गया. वह हर दिन किसी ना किसी ब्रांड्स से पिछड़ने लगी. सैमसंग ने मार्केट में धाक जमा ली थी और फिर 2014 से स्मार्टफोन्स का बाजार बने भारत में कई बड़े चीनी प्लेयर्स की एंट्री होती है.
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