नई दिल्ली: मोदी सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी वेब ब्राउजर बनाने की ओर कदम बढ़ा रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) द्वारा आयोजित “इंडियन वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज” का विजेता घोषित कर दिया गया है। इस प्रतियोगिता में चेन्नई स्थित आईटी कंपनी Zoho ने जीत हासिल की है और अब यह कंपनी भारत का पहला स्वदेशी वेब ब्राउजर विकसित करेगी।
क्या है Zoho?
Zoho एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी है, जिसकी स्थापना 1996 में श्रीधर वेंबू और टोनी थॉमस ने की थी। इसका मुख्यालय चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है। कंपनी के अमेरिका, चीन और जापान में भी कार्यालय हैं। Zoho दुनिया भर में सॉफ्टवेयर और क्लाउड आधारित तकनीकी समाधान प्रदान करती है और अब भारत के पहले वेब ब्राउजर को विकसित करने की जिम्मेदारी भी इसने अपने हाथों में ली है।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार भारत को “प्रोडक्ट नेशन” के रूप में विकसित करना चाहती है, जिससे देश को तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। सरकार का लक्ष्य है कि भारत में ही हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर समाधान विकसित किए जाएं।
स्वदेशी ब्राउजर का फायदा
डेटा का लोकल स्टोरेज: भारतीयों के डेटा को भारत में ही स्टोर किया जाएगा, जिससे डेटा लीक और साइबर हमलों का खतरा कम रहेगा।
सिक्योरिटी: वर्तमान समय में भारत पूरी तरह से विदेशी ब्राउजरों पर निर्भर है। लेकिन गूगल क्रोम और अन्य ब्राउजरों की सुरक्षा को लेकर हमेशा चिंता बनी रहती है। नया ब्राउजर इस मुद्दे को हल करेगा।
इंडियन लैंग्वेज सपोर्ट: ब्राउजर भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध होगा, जिससे देशभर में ज्यादा से ज्यादा लोग इसे इस्तेमाल कर सकें।
वेब3 और कटिंग-एज टेक्नोलॉजी: नया ब्राउजर वेब3 टेक्नोलॉजी को सपोर्ट करेगा, जिससे इंटरनेट की अगली पीढ़ी के लिए यह तैयार रहेगा।
गूगल क्रोम को मिलेगी टक्कर?
स्वदेशी ब्राउजर के लॉन्च के बाद भारत गूगल क्रोम जैसे विदेशी ब्राउजरों पर निर्भर नहीं रहेगा। यह एक सुरक्षित, तेज और भारतीय यूजर्स की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया गया ब्राउजर होगा। फिलहाल ब्राउजर के विकास की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। Zoho जल्द ही इसका प्रोटोटाइप तैयार करेगी और इसे सुरक्षा व परफॉर्मेंस टेस्टिंग के बाद पब्लिक किया जाएगा। भारत के पहले स्वदेशी वेब ब्राउजर का लॉन्च देश की टेक्नोलॉजी में एक बड़ामोड़ साबित हो सकता है।
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