Indian Student Talk to Apple Tim Cook: एपल कंपनी के सीईओ टिम कुक ने दुनिया के 13 होनहार छात्रों से बात की. इस दौरान दिल्ली के रहने वाले भारतीय छात्र पलाश तनेजा ने टिम कुक को टिम एपल के नाम से पुकारा. इसके बाद वहां मौजूद लोग ठहाके लगाने लगे. टिम कुक ने पलाश को कहा कि आपका मतलब मैं समझ गया हूं.
नई दिल्ली. प्रीमियम गैजेट्स निर्माता कंपनी एपल के सीईओ टीम कुक से भारतीय छात्र ने मजाकिया लहजे में पूछा, हैलो टिम एपल कैसे हैं. इसका जवाब देते हुए टिम कुक ने छात्र को कहा, आपका मतलब मैं समझ गया हूं, मैं अच्छा हूं. दिल्ली के रहने वाले 18 वर्षीय छात्र पलाश तनेजा ने पूरे विश्व से आए अन्य 12 स्टूडेंट्स के साथ एपल सीईओ टिम कुक से मुलाकात की. पलाश के इस सवाल के बाद सभा स्थल पर ठहाके लगने लगे. दरअसल अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो महीने पहले एक कॉन्फ्रेंस में टिम कुक को टिम एपल के नाम से संबोधित कर दिया था. इसके बाद टिम कुक ने अपने ट्विटर अकाउंट का नाम भी बदल कर टिम एपल रख दिया था, जो कि सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था.
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के रहने वाले छात्र पलाश तनेजा ने हाल ही में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, इसके बाद पलाश टेक्सस यूनिुवर्सिटी, ऑस्टिन से आगे की पढ़ाई कर रहे हैं. पलाश ने एपल सीईओ टिम कुक से मुलाकात के दौरान आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित प्रोजेक्ट भी दिखाया. पलाश का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के जरिए हम यूट्यूब वीडियोज को 50 भाषाओं में ट्रांसलेट किया जा सकेगा. टिम कुक ने पलाश के प्रोजेक्ट की तारीफ की और उन्हें अपने आइडिया के सक्सेस होने की शुभकामनाएं दीं. टिम कुक की तमन्ना है कि कोडिंग स्कूलों में दूसरी भाषा बन जाए.
रिपोर्ट के मुताबिक पलाश तनेजा ने 8वीं क्लास से कोडिंग करना शुरू कर दी थी. हालांकि 10 क्लास में पलाश को डेंगू से पीड़ित हो गए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में इलाज कराने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. उस दौरान उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिल पाया था. उन्होंने अस्पतालों में बेड की उपलब्धता की जानकारी देने वाली एक एप बनाने के बारे में विचार किया. पलाश ने मशीन लर्निंग के जरिए ऐसा तरीका भी इजाद किया है जिससे डेंगू का अनुमान लगाया जा सके. इसके अलावा पलाश एजुकेशन एप भी बना चुके हैं.
पलाश बताते हैं कि कंप्यूटर कोडिंग की प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली थी. उनके पिता एक्सेल शीट और पावर पॉइंट पर काम करते थे. जब पलाश ने उन्हें ऐसा करते हुए देखा तो कोडिंग सीखने की उत्सुकता हुई. 8वीं क्लास में ही पलाश ने रेस्पबेरी पीआई कोडिंग पर पकड़ बना ली थी.