नई दिल्ली: आईआईटी इंदौर द्वारा सैनिकों के लिए एक कमाल के जूते बनाए गए है, जो हर कदम पर बिजली देते हैं. इन जूतों के सोल में ऊर्जा एक कैपेसिटर में जमा होती है. इससे एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को पावर मिलती है। यह कमाल के 10 जोड़ी जूते रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को […]
नई दिल्ली: आईआईटी इंदौर द्वारा सैनिकों के लिए एक कमाल के जूते बनाए गए है, जो हर कदम पर बिजली देते हैं. इन जूतों के सोल में ऊर्जा एक कैपेसिटर में जमा होती है. इससे एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को पावर मिलती है। यह कमाल के 10 जोड़ी जूते रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को जांच के लिए सौंपे गए हैं।
खास बात यह है कि इन जूतों में ट्रैकिंग के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएएफआईडी) और लोकेशन ट्रेसिंग के लिए जीपीएस टेक्नोलॉजी भी शामिल की गई है। इस टेक्नोलॉजी के ज़रिए सैनिक इनक्सेसबल जगहों पर बिजली की कमी से बच सकेंगे और अपनी एक्टिविट्स को बेहतर ढ़ग से कंट्रोल कर सकेंगे। जूतों की इस खासियत के कारण, किसी भी ऑपरेशन के दौरान ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी की मदद से कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकेगा।
आईआईटी इंदौर के डायरेक्टर, प्रो. सुहास जोशी ने कहा कि आज के समय में पोर्टेबल एनर्जी सॉर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। डीआरडीओ की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बनाए गए है. इसके साथ ही ये जूते ऊर्जा संग्रहण करने में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
आईआईटी इंदौर के डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट, प्रो. आईए पलानी ने बताया कि इन जूतों में ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनो-जेनरेटर सिस्टम का उपयोग किया गया है. इसके साथ ही इसे एल्युमीनियम और फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन से बनाया गया है। यह सिस्टम हर एक कदम पर खुद से ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो जूते के अंदर एक कैपेसिटर में जमा होती है और छोटे सर्किट्स को पावर दे सकती है।
ये जूते अल्जाइमर के मरीजों के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं. इसके अलावा छोटे बच्चों के माता-पिता, एथलीट, और खिलाड़ी भी इन जूतों का लाभ उठा सकते हैं, जैसे कि बच्चों की निगरानी करने के लिए इनका उपयोग किया जा सकता हैं।
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