टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर अब एक यूनिट वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड हो गई हैं. NCLT ने दोनों के मंजूरी दे दी है. ऐसे में कंपनी के मैनेजमेंट में काफी बड़ा बदलाव किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि दोनों कंपनी के एक होने से मार्केट पर राज कर रही एयरटेल और रिलायंस जियो पर प्रभाव पड़ सकता है. वहीं दूसरी ओर लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इस मर्जर से यूजर्स पर क्या फर्क पड़ेगा.
नई दिल्ली. टेलीकॉम कंपनी आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन इंडिया अब एक होकर वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड हो गई हैं. दोनों के मर्जर को NCLT से मंजूरी मिल चुकी है. अब सिर्फ कपंनी जरूरी फेरबदल कर रही है. मैनेजमेंट में बड़ा बदलाव किया जा रहा है. ऐसे में लोगों के मन में काफी सवाल उठने शुरु हो गए हैं. इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि दोनों कंपनियों के मर्जर के बाद ग्राहकों के लिए बदलाव होंगे.
गौरतलब है कि वोडाफोन और आइडिया का मर्जर पूरा होने के बाद दोनों कंपनियों के वर्तमान यूजर्स को नए सिम खरीदने नहीं पड़ेंगे. पुराने यूजर्स का डाटा कंपनी अपने सिस्टम में ही अपडेट करेगी. यूजर्स को पुराने सिम पर ही नए ऑफर्स मिलेंगे. वहीं नए यूजर्स को नए सिम दिए जाएंगे. इसके साथ ही कंपनी से जुड़े एक सूत्र ने बताया है कि पहले ही दोनों कंपनियां पहले ही सिस्टम को 4जी सेवा में अपडेट कर चुकी है. जानिए इससे यूजर्स को क्या-क्या फायदे मिलेंगे.
बेहतर नेटवर्क
गौरतलब है कि दोनों कंपनियों के मर्ज होने से सेलुलर टावरों की पारिस्थिति मजबूत होगी. पहले की तुलना में बेहतर कवरेज मिलेगा. मर्जर होने के बाद कंपनी का दावा है कि अब यह 200,000 से अधिक अद्वितीय जीएसएम साइटों के साथ सबसे बड़ा वॉयस नेटवर्क है और 1.2 अरब भारतीयों (92% आबादी) को कवर करने के लिए 2,35,000 कि.मी. में फैला हुआ है. इसके अलावा, नई यूनिट में 2 जी, 3 जी और 4 जी प्लेटफॉर्म पर बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए एक बड़ा स्पेक्ट्रम पोर्टफोलियो और अधिक ब्रॉडबैंड वाहक होंगे.
नई टेक्नोलॉजी
वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड में डिजिटल सेवाओं पर बेहतर पकड़ होगी जिसमें वॉयस, डेटा, मोबाइल भुगतान, आईओटी, उच्च गति और सुरक्षित लीज्ड लाइनें, डिजिटल वॉलेट, एमआईएमओ और क्लाउड सेवाएं शामिल होंगी. इन सेवाओं को 15,000 स्टोर्स और 1.7 मिलियन रिटेल टचपॉइंट्स के माध्यम से एक्सेस किया जा सकेगा.
मिलेंगे अच्छे ऑफर्स
यूजर्स को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला कारण मूल्य माना जाता है. ऐसे में वोडाफोन आइडिया लिमिटेड अब रिलायंस जियो के आक्रामक मूल्य निर्धारण का मुकाबला करने के लिए बेहतर स्थिति में होगा. कंपनी के पास 32.2 प्रतिशत का एक पैन इंडिया रेवेन्यू मार्केट शेयर (एजीआर) होगा जो न केवल इसे सूची के शीर्ष पर रखेगा बल्कि नए प्रस्तावों को पेश करने के लिए कुछ श्वास स्थान भी छोड़ देगा.
वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर के मर्जर को NCLT की हरी झंडी, भारती एयरटेल से छिना नंबर वन का ताज