September 28, 2024
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ISRO चीफ बोले- इंसान हमेशा धरती पर नहीं रहेगा, इंसान विलुप्त हो जाएगा…

ISRO चीफ बोले- इंसान हमेशा धरती पर नहीं रहेगा, इंसान विलुप्त हो जाएगा…

  • WRITTEN BY: Aanchal Pandey
  • LAST UPDATED : July 21, 2022, 7:12 pm IST

नई दिल्ली, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने गगनयान को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि लोग पूछते हैं कि इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की क्या जरूरत है? धरती है तो सही जगह रहने के लिए फिर अंतरिक्ष की यात्राएं क्यों? इसका बड़ा ही शानदार जवाब देते हुए इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि डायनासोर की तरह एक दिन इंसान भी धरती से खत्म हो जाएगा या यूँ कहें कि इंसान भी विलुप्त हो जाएगा और इसके पीछे या तो वह खुद जिम्मेदार होगा, या प्रकृति या फिर अंतरिक्ष से आने वाले एस्टेरॉयड्स.

इंसान की ज़िंदगी धरती पर सीमित है

इसरो चीफ ने बताया कि चंद्रमा और मंगल पर लगातार एस्टेरॉयड्स की बमबारी होती रहती है क्योंकि उनका बचाव करने के लिए वहां कोई वायुमंडल नहीं है. धरती के पास वायुमंडल है इसलिए आप एस्टेरॉयड्स के हमले से बच जाते हैं अब इंसान धरती पर हमेशा तो रहने वाले हैं नहीं. डायनासोर मारे गए क्योंकि वो बुद्धिमान नहीं थे अब इंसान तो बुद्धिमान है. इसके बावजूद इंसानों की जिंदगी धरती पर बहुत सीमित है. अगर इंसानों ने नई जगह रहने के लिए नहीं चुनी तो एक न एक दिन ये धरती खत्म हो जाएगी और इसके साथ ही इंसान भी खत्म हो जाएंगे.

गगनयान ही अंतिम पड़ाव नहीं

एस. सोमनाथ ने कहा कि गगनयान सिर्फ एक नई कोशिश है, आजादी के अमृत महोत्सव पर हम यह ह्यमून स्पेसफ्लाइट एक्सपो शुरू कर रहे हैं. आज़ादी के 100 साल होने पर हम अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बना चुके होंगे. हम सिर्फ गगनयान तक नहीं रुकेंगे. हम चाहते हैं कि जब दुनिया के बड़े स्पेस मिशन में बड़े देश शामिल हों तब भारत का एक या दो एस्ट्रोनॉट उस टीम का हिस्सा हो और हमें अंतरिक्ष की बड़ी खोज में शामिल किया जाए.

हमारी अगली पीढ़ियां सौर मंडल के बाहर जाएंगी

सोमनाथ ने कहा कि भारत ने चंद्रयान-1, मंगलयान समेत कई ऐसे मिशन किए हैं, जिसने यह स्थापित कर दिया है कि हमारा देश, हमारे वैज्ञानिक, हमारे लोग और हमारा ISRO दुनिया के किसी भी देश से कम नहीं है, लेकिन हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है लोगों की सुरक्षा, सेहत और संपन्नता. इसलिए हम उन्हें ऐसे मौसम, आपदा, नेविगेशन, कृषि, संचार जैसी सुविधाएं दे रहे हैं. हमारी अगली पीढ़ियां दूसरे ग्रह ही नहीं बल्कि सौर मंडल और उसके बाहर एक्सोप्लैनेट तक जाएंगी.

 

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