नई दिल्ली. फोर्ड मोटर्स ने भारत की दोनों मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में ताला लगाने का फैसला किया है. साणंद और चेन्नई यूनिट में काम कर रहे 4000 लोगों के चेहरे उदास हैं. दो अरब डॉलर के घाटे से कंपनी की कमर टूट गई है. कोई भी कंपनी ऐसा दिन नहीं देखना चाहती. लेकिन कई समय से घाटे में चलने की वजह से फोर्ड ने भारत में अपनी इकाइयों को बंद करने का फैसला लिया है. बीते दिनों खबर आई थी कि कंपनी ( Ford India ) के बंद होने के खिलाफ फोर्ड के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद कंपनी अब अपने कर्मचारियों के लिए सेटलमेंट पैकेज तैयार कर रही है.
इस महीने की शुरुआत में फोर्ड ने भारत में अपनी दोनों यूनिट्स पर ताला लगाने का फैसला किया है, फोर्ड नेबीते साल अपने चेन्नई और साणंद (गुजरात) संयंत्रों में लगभग 2.5 बिलियन अमरीकी डालर का निवेश किया था, लेकिन फोर्ड को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा जिसके बाद इन कारखानों में तैयार किए गए इकोस्पोर्ट, फिगो और एस्पायर जैसे वाहनों की बिक्री बंद करने का फैसला लिया है.
फोर्ड की इकाइयों के बंद होने से लगभग 4000 कर्मचारियों के बेरोज़गार होने की खबर सामने आई थी, जिसके विरोध में कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. बुधवार को, चेंगलपेट, तिरुवल्लूर और चेन्नई के फोर्ड के 50 से अधिक ऑटो पार्ट्स आपूर्तिकर्ताओं के साथ समीक्षा बैठक करने के बाद, ग्रामीण उद्योग मंत्री टीएम अंबारसन ने कहा कि सरकार को जानकारी मिली है कि फोर्ड अपने कर्मचारियों के लिए एक ”Settlement package’ की घोषणा करने की प्रक्रिया में है.
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