नई दिल्ली. फेसबुक डाटा लीक का मामला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था कि एक और रिपोर्ट से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है. टेकक्रंच नाम के पोर्टल ने दावा किया है कि साल 2016 में कुछ यूजर्स की फोन एक्टिविटी का पूरा कंट्रोल पाने के लिए फेसबुक ने उन्हें पैसे दिए थे. 13 से 15 साल के यूजर्स को हर महीने फेसबुक ने 20 डॉलर (1400 रुपये) दिए. यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा था. यूजर्स से अपने फोन में फेसबुक रिसर्च एप्लिकेशन भी इन्स्टॉल करने को कहा गया.
फोन और वेब एक्टिविटी के अलावा फेसबुक को यूजर्स के प्राइवेट मैसेज और सर्च हिस्ट्री का पूरा कंट्रोल हासिल हो गया. इसके अलाव उन्होंने ई-कॉमर्स वेबसाइट्स जैसे अमेजन से क्या ऑर्डर किया, उन पेजों के स्क्रीन शॉट भी ले लिए. टेकक्रंच का दावा है कि ऐप को अप्लॉज, बीटाबाउंड और यूटेस्ट जैसी बीटा टेस्टिंग सर्विसेज कंपनियां चला रही थीं, जिसका मकसद इस प्रोग्राम में फेसबुक के शामिल होने की बात छिपाना था. फेसबुक ने टेकक्रंच को बताया कि वास्तव में कंपनी ऐसा प्रोग्राम चला ही थी और इसे स्थगित करने का उसका कोई इरादा नहीं था.
फेसबुक प्रवक्ता ने बयान में कहा, अन्य कंपनियों की तरह हमने भी रिसर्च में लोगों से शामिल होने का न्योता दिया, जिससे चीजों को बेहतर करने में मदद मिल सके. चूंकि इस रिसर्च का मकसद फेसबुक द्वारा यह समझना था कि लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते कैसे हैं, हमने बताया कि हम किस तरह का डाटा लेंगे और वे कैसे भागीदार बन सकते हैं. हमने यह जानकारी किसी अन्य से साझा नहीं की और लोग इससे कभी भी अलग हो सकते हैं.
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