नई दिल्ली। हाल ही में जारी हुई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक आपको काफी हैरान कर देगी। जिसमें बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित ऐप्स, ऑनलाइन गेम, स्मार्ट होम – बच्चों पर साइबर हमले के खतरे (Cyber Security Threat) को बढ़ा सकता है। दरअसल, वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्म कैस्परस्की की रिपोर्ट में यह कहा गया […]
नई दिल्ली। हाल ही में जारी हुई एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक आपको काफी हैरान कर देगी। जिसमें बताया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-आधारित ऐप्स, ऑनलाइन गेम, स्मार्ट होम – बच्चों पर साइबर हमले के खतरे (Cyber Security Threat) को बढ़ा सकता है। दरअसल, वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्म कैस्परस्की की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बच्चों में एआई टूल का उपयोग करने की अधिक संभावना होती है, जो अब तक आवश्यक स्तर की साइबर सुरक्षा और आयु-उपयुक्त सामग्री को प्रदान करने के लिए तैयार नहीं हैं।
गेम्स के अलावा, स्मार्ट होम डिवाइस भी बच्चों के लिए खतरा पैदा करते हैं। जहां साइबर अपराधी, डिवाइस के जरिए बच्चों से संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद वो उनका नाम, पता आदी की जानकारी मांग सकते हैं। स्पेशली जब उनके पैरेंट्स घर पर नहीं होते। यहां तक कि ये पैरेंट्स के क्रेडिट कार्ड का नंबर भी मांग सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे में डिवाइस हैकिंग के अलावा वित्तीय डेटा हानि या शारीरिक हमले का भी खतरा भी बना रहता है।
अब ऐसे में जब बच्चे अपने पर्सनल स्पेस की मांग करते हैं, तो पैरेंट्स को उनके पर्सनल स्पेस का सम्मान करते हुए ऑनलाइन अनुभव और ऑनलाइन सुरक्षा के लिए पेरेंटिंग डिजिटल ऐप्स के महत्व पर चर्चा करने का कौशल सीखना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, इसमें स्पष्ट सीमाएं और अपेक्षाएं स्थापित करना और किसी भी बच्चे के साथ ऐप्स का उपयोग करने के कारणों पर चर्चा करना शामिल है।
गेमिंग और फिनटेक उद्योग के कैस्परस्की के सुरक्षा और गोपनीयता विशेषज्ञ एंड्री सिडेंको ने एक बयान में कहा कि बच्चों को कम उम्र से ही साइबर सुरक्षा की मूल बातों के बारे में बताना बेहद आवश्यक है। उन्हें ये सिखाना महत्वपूर्ण है कि कैसे वो साइबर अपराधियों के जाल में न फंसें और गेमिंग के दौरान क्या-क्या साइबर खतरे हो सकते हैं? साथ ही ये भी कि वो अपने व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित कैसे सुरक्षित रखें? न केवल वयस्कों, बल्कि सबसे कम उम्र के उपयोगकर्ताओं को भी ये समझ होनी चाहिए।
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कैस्परस्की विशेषज्ञों ने पैरेंट्स को नवीनतम खतरों के बारे में सूचित रहने और बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर निगरानी रखने की सलाह दी है। रिपोर्ट में ये कहा गया है कि माता-पिता के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि वे अपने बच्चों के साथ ऑनलाइन होने वाले संभावित खतरों के बारे में खुल कर बातचीत करें। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए सख्त गाइडलाइन भी लागू करें।