नई दिल्ली: ई-कॉमर्स सेक्टर में विदेशी निवेश नियमों के कथित उल्लंघन के चलते प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर सामान बेचने वाले कई सेलर्स के दफ्तरों पर ईडी ने रेड मारी हैं. बता दें यह कार्रवाई दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत कुल 19 जगहों पर की गई। ईडी ने इन सेलर्स पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) और मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) के नियमों के उल्लंघन का शक जताते हुए जांच शुरू कर दी है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, ईडी ने इन प्लेटफॉर्म पर कारोबार कर रहे कुछ प्रमुख सेलर्स पर आरोप लगाया है कि वे विदेशी निवेश के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इस कार्रवाई का आधार भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के उस आदेश को बताया गया है, जिसमें उन्होंने इन ई-कॉमर्स कंपनियों को विदेशी निवेश के संदर्भ में नियमों का सख्ती से पालन करने की चेतावनी दी गई थी। सीसीआई ने पहले भी इन कंपनियों को बाजार में निष्पक्षता बनाए रखने की सलाह दी थी और कहा था कि किसी विशेष सेलर को प्रिफरेंस देना अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
छापेमारी के दौरान ईडी ने यह भी जांच की कि अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर कुछ खास उत्पादों की कीमतों को कैसे कंट्रोल किया जा रहा है। इसके साथ ही दफ्तरों पर ऐसा आरोप है कि कुछ सेलर्स को ख़ास लाभ देकर उनकी पहुंच बढ़ाई जा रही है और उनकी उत्पादों की कीमतें भी कम की जा रही हैं। ईडी का उद्देश्य यह जानना है कि क्या इन प्लेटफॉर्म्स ने विदेशी निवेश के नियमों का सही तरीके से पालन किया है या नहीं।
ईडी के इस कदम से भारत में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के संचालन पर सवाल उठने लगे हैं। भारतीय कानून के तहत, ई-कॉमर्स कंपनियों को एक न्यूट्रल मार्केटप्लेस के रूप में कार्य करना चाहिए और उन पर उत्पादों का डायरेक्ट कंट्रोल नहीं होना चाहिए। रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ सालों से ईडी इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल पर नजर रखे हुए था। बता दें, इस मामले में फिलहाल अमेज़न और फ्लिपकार्ट की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि ये देखना होगा की दोनों ही ई-कॉमर्स कंपनियां ED की कार्रवाई पर क्या जवाब देती है.
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