नई दिल्ली। इंटरनेट हमारी जिंदगी का जरुरी हिस्सा बन चुका है, जिसके बिना कोई भी काम नहीं हो चलता। हालांकि, जहां इंटरनेट से लोगों को फायदा हुआ है वहीं साइबर अपराधों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। बीते कुछ सालों में भारत में जिस तरह से डिजिटल धोखाधड़ी बढ़ी है, उससे व्यक्तियों की वित्तीय […]
नई दिल्ली। इंटरनेट हमारी जिंदगी का जरुरी हिस्सा बन चुका है, जिसके बिना कोई भी काम नहीं हो चलता। हालांकि, जहां इंटरनेट से लोगों को फायदा हुआ है वहीं साइबर अपराधों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। बीते कुछ सालों में भारत में जिस तरह से डिजिटल धोखाधड़ी बढ़ी है, उससे व्यक्तियों की वित्तीय सुरक्षा और आधार जैसी राष्ट्रीय पहचान को खतरा हो सकता है। ऐसे में हैकर्स लगातार रणनीति विकसित करते रहते हैं, जिससे संवेदनशील पर्सनल जानकारी की सुरक्षा में थोड़ी मुश्किलें आ सकती हैं। आइए जानते हैं कि आप इस स्कैम से बचने के लिए क्या करें या क्या न करें।
याद रखें अपनी पर्सनल जानकारी की सुरक्षा आधार बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन को सुरक्षित रखना बेहद जरुरी है।
ऐसे में स्कैमर्स के एक्सेस को रोकने और अपनी डिजिटल कॉपियों को सुरक्षित रखने के लिए अपरिचित कंप्यूटर पर संग्रहीत अपने आधार कार्ड की किसी भी बाहरी कॉपियों को डिलीट कर दें।
ध्यान रखें कि वेरिफाई करने के लिए सटीक और अपडेट संपर्क जानकारी के लिए आपका मोबाइल नंबर आपके आधार से जुड़ा होना चाहिए।
किसी भी संभावित खतरों के खिलाफ जल्द एक्शन लेने के लिए स्कैमिंग और चोरी डॉक्यूमेंट पर संदेह होते ही तुरंत रिपोर्ट करें।
इसके अलावा UIDAI वेबसाइट की नियमित जांच के माध्यम से अपने आधार के उपयोग की निगरानी करें, इससे आपको पता चल सकेगा कि आपकी पहचान का इस्तेमाल कहां हो रहा है।
किसी भी डिलीवरी या वेरिफिकेशन के लिए रिक्वेस्ट करने वाले व्यक्ति को अपने आधार नंबर की जानकारी देने से बचें।
सरकारी एजेंसियों या बैंकों के नाम से आने वाले कॉल पर लोगों को ओटीपी की जानकारी देने से बचें।
अपनी पहचान की चोरी के जोखिम को कम करने के लिए अपने आधार कार्ड को कभी भी सोशल मीडिया पर साझा करने से बचें।