नई दिल्ली. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है. कोई इसे मानव जीवन और भविष्य के लिए वरदान बता रहा है तो कोई इसे खतरनाक. मगर गूगल के मालिकाना हक वाली रिसर्च कंपनी डीप माइंड ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर एक ऐसी सफलता पाई है, जिसके बाद ये कहा जा सकता है कि मानव जीवन में एआई काफी मददगार साबित होने वाली है.
हम इंसान तो आसानी से कल्पना कर सकते हैं, किसी काम की प्लानिंग कर सकते हैं, रणनीति बना सकते हैं, मगर क्या मशीनें ऐसा कर सकती हैं? आपका सीधा सवाल होगा- नहीं. मगर डीप माइंड ने इस बात का ऐलान किया है कि उसने एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एजेंट डेवलप कर लिया है जो इंसान की तरह सोचकर आगे क्या करना है, उसकी स्ट्रैटजी और प्लानिंग कर सकता है.
कंप्यूटर कठिन समस्याओं का भी समाधान कर सकता है. कंप्यूटर मानव मस्तिष्क से कहीं अधिक तेजी से गणना भी कर सकता है. मगर रचनात्मकता और कल्पना के मामले में इंसानों का अभी तक मशीनें मुकाबला नहीं कर पाई हैं. लेकिन गूगल का ये आविष्कार मानव को इस मामले में पछाड़ सकता है.
गूगल की मालिकाना हक वाली लैब डीप माइंड ने पिछले सप्ताह कहा कि वो एक ऐसे एआई को विकसित करने में सक्षम हैं, जो इंसान की तरह सोच कर कल्पना कर सकता है और भविष्य की प्लानिंग भी कर सकता है. यही वजह है कि जब एआई एजेंट को इंटरनल सिमुलेशन की व्याख्या करने की क्षमता दी गई तो जबर्दस्त परिणाम देखने को मिले.
कंपनी की मानें तो एआई एजेंट को आत्मनिरीक्षण क्षमता सौंपने से यह खुद के कार्यों पर सवाल पूछने की क्षमता रखता है. वैसा ही जैसे इंसान करता है. यह सीधे तौर पर रणनीति सीखने और प्लान बनाने की क्षमता रखता है.
अब किसी भी काम के लिए रणनीति बनाने, प्लानिंग करने या फिर भविष्य की कल्पना करने के लिए इंसान को मशीनों का सहारा मिलेगा. इससे पूरी दुनिया में विकास की गति काफी तेज हो सकती है. अगर ये पूरी तरह से धरातल पर उतर जाता है तो ये मानव जीवन में क्रांतिकारी बदलाव से कम नहीं होगा.
अगर गूगल ऐसा करने में पूरी तरह कामयाब हो जाती है तो इंसानों की जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. भविष्य की चीजों को समझने के लिए, किसी कार्य की प्लानिंग के लिए अब इंसानों की जरूरत नहीं होगी, बल्कि एआई तकनीक ही इसके लिए काफी होंगी. इसके जरिये फ्यूचर प्लान करना आसान हो जाएगा.
बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर विशेषज्ञ अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं. एलॉन मस्क इसे खतरनाक बता चुके हैं, वहीं मार्क जुकरबर्ग का इसे भविष्य के लिए मददगार मानते हैं. हालांकि, फेसबुक ने अपने एआई सिस्टम को हटा दिया है.