नई दिल्ली : एक तरफ जहां सरकार भारत को ऑनलाइन प्रक्रिया से जोड़ रही है. वहीं दूसरी और कुछ आंकड़े सरकार की पोल खोल रहे हैं. एक अध्ययन में ये सामने आया है कि देश की करीब 95 करोड़ आबादी के पास इंटरनेट की सुविधा भी उपलब्ध नहीं हैं.
देश के अग्रणी उद्योग मंडल एसोचैम और निजी लेखा कंपनी डेलोइट के संयुक्त अध्ययन में जो तथ्य सामने आए वो चौंकाने वाले हैं. अध्ययन में पाया गया कि भारत में मोबाइल पर इंटरनेट चलाना दूसरे देशों की तुलना में काफी सस्ता है और यहां स्मार्टफोन की कीमतों में भी गिरावट जारी है. लेकिन इन सब के बाद भी देश की सवा अरब की आबादी का तीन चौथाई हिस्सा अभी भी इंटरनेट से दूर है.
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डिजिटल साक्षरता
स्ट्रैटजिक नेशनल मेजर्स टू कॉम्बैट साइबरक्राइम शीर्षक वाले इस अध्ययन के मुताबिक सरकार की मौजूदा संरचना का इस्तेमाल देश के सुदूरवर्ती इलाकों तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाने में होना चाहिए. अध्ययन में पाया गया कि देश में इंटरनेट को फैलाने का काम काफी तेजी से हो रहा है लेकिन देश में डिजिटल साक्षरता के लिए ब्रॉडबैंड, स्मार्ट उपकरणों और मासिक इंटरनेट पैकेज पूरे तरीके से उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं.
प्रशिक्षण की जरूरत
अध्ययन में कहा गया कि सरकार को स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया के बीच सामंजस्य बनाकर डिजिटल साक्षरता के कार्यक्रमों के तहत लोगों को प्रशिक्षण देने की जरूरत है. वहीं ज्यादातर दूरसंचार कंपनियां फिलहाल ग्रामीण इलाकों में तेज गति की इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए निवेश नहीं कर रही हैं.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था पर जोर दे रही है.