एटीएम यानी कि आटोमेटिड टैलर मशीन से हम सभी परिचित हैं. जो परिचित नहीं भी थे वह सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से जरूर हो गए. आज लगभग पूरा देश एटीएम के खड़ा दिखाई दे रहा है लेकिन क्या आप इसके इतिहास को जानते हैं? या क्या आपको यह पता है कि यह मशीन भारत में कैसे आई?
नई दिल्ली. एटीएम यानी कि आटोमेटिड टैलर मशीन से हम सभी परिचित हैं. जो परिचित नहीं भी थे वह सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद से जरूर हो गए. आज लगभग पूरा देश एटीएम के खड़ा दिखाई दे रहा है लेकिन क्या आप इसके इतिहास को जानते हैं? या क्या आपको यह पता है कि यह मशीन भारत में कैसे आई?
वैसे एटीएम एक बहुत ही कॉम्प्लेक्स मशीन है और इसका आविष्कार भी एक बार में नहीं हुआ. कह सकते हैं कि यह लगातार अलग-अलग लोगों की कोशिशों का परिणाम था. इस मशीन के इतिहास में झांकने पर पता चलता है कि इसका सबसे पहला नाम बैंकोग्राफ था.
इस कमाल की मशीन के आविष्कार पर कई देश दावे करते हैं. ऐसा मत है कि इसका सबसे पहले इस्तेमाल लंदन और न्यूयॉर्क में हुआ था. बताया जाता है कि इसे सबसे पहले सिटी बैंक ऑफ़ न्यूयॉर्क में लगाया गया था. जिसे बैंक के ग्राहकों ने अस्वीकार कर दिया था. इसके बाद सीधा जापान के टोक्यो शहर में 1966 में इसका इस्तेमाल हुआ.
यूरोप में माना जाता है कि लंदन में इसका सबसे पहले इस्तेमाल हुआ और इसके आविष्कार का श्रेय यहां जॉन शेपर्ड को दिया जाता है.
एटीएम का भारत कनेक्शन
जिस एटीएम के आविवष्कार का श्रेय जॉन शेपर्ड को दिया जाता है उनका जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में हुआ था. वह पूर्वोत्तचर राज्य असम के शिलांग और आज के मेघालय के शिलांग के जन्में थे.
उनका जन्म 23 जून 1925 को हुआ था. उनके पिता इंजीनियर थे. वर्तमान में एटीएम में 4 अंकों के जिस पिन का इस्तेमाल हम करते हैं उसके अविष्कार का श्रेय भी इन्हें ही जाता है. जॉन शेपर्ड का निधन हाल ही में 15 मई 2010 में हुआ था.