पायलट और गहलोत आ गए साथ, क्या खत्म हो गया कुर्सी का विवाद?

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस मे एक लम्बे अरसे से विवाद चल रहा है, सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच कुर्सी को लेकर जारी जंग में अब शायद विराम लग गया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने से पहले ही गहलोत और सचिन पायलट ने एक दूसरे से हाथ मिला लिया है। […]

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पायलट और गहलोत आ गए साथ, क्या खत्म हो गया कुर्सी का विवाद?

Farhan Uddin Siddiqui

  • November 30, 2022 11:44 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस मे एक लम्बे अरसे से विवाद चल रहा है, सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच कुर्सी को लेकर जारी जंग में अब शायद विराम लग गया है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान पहुंचने से पहले ही गहलोत और सचिन पायलट ने एक दूसरे से हाथ मिला लिया है। यह मित्रता क्या केवल यात्रा मात्र के लिए है या फिर यह विवाद वाकई मे सुलझ गया है?
क्या कुर्सी की यह जंग महज़ कुछ शब्दों की ही लाचार थी। जो चंद लम्हों की मुलाकात के बाद शांति के रास्ते पर आ गई।

क्या है पूरा मामला?

राहुल गांधी द्वारा आयोजित की गई भारत जोड़ो यात्रा का अगला पड़ाव अब राजस्थान होगा मध्य प्रदेश से गुजरते हुए राहुल गांधी राजस्थान की ओर कूच करेंगे इस दौरान पार्टी महासचिव वेणुगोपाल ने तैयारियों का जायजा लेने के लिए जयपुर का दौरा किया।
वेणुगोपाल ने पायलट एवं गहलोत को पहले बंद कमरे में मिलवाया, फिर दोनों पक्ष मीडिया के सामने हाथ खड़े करके सामने आए और कहा कि, दिस इज राजस्थान कांग्रेस। हम पूरी तरह एक हैं।

वेणुगोपाल के अनुसार पायलट और गहलोत कह चुके हैं कि हम सिर्फ यात्रा के दौरान ही नहीं बल्कि चुनाव तक एकजुट होकर काम करेंगे। राहुल गांधी ने भी साफ कर दिया है कि, गहलोत एवं पायलट पार्टी के लिए समर्पित हैं। गद्दार विवाद होने के बाद पहली बार दोनों नेताओं ने एक दूसरे से मुलाकात कर अभिनंदन किया।

इतनी आसानी से सुलझ जाएगा विवाद

राजस्थान की सियासत में जो जंग कुर्सी को लेकर आरम्भ हुई थी, क्या मात्र वह एक औपचारिक मुलाकात के बाद खत्म हो जाएगी जहाँ एक ओर गहलोत गुट के नेता भी सचिन पायलट के मुख्यमंत्री बनने के सपने संजोए बैठे हैं, इस मुलाकात के बाद क्या वह गहलोत का सामना कर पाएंगे।
इस मिलन को केवल राहुल की भारत जोड़ो यात्रा एवं आगामी राजस्थान के विधानसभा चुनावों तक ही सफल माना जा सकता है, यदि आगामी चुनावों मे कांग्रेस जीत जाती है तो फिर से इस जंग का आगाज़ हो सकता है।

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