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मुस्लिम आरोपियों पर मुकदमा नहीं चलेगा, हिन्दुओं पर चलेगा केस, कांग्रेस कर रही है ये काम!

कर्नाटक: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने COVID-19 महामारी के दौरान हिजाब विरोध प्रदर्शन से संबंधित कुछ मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जिससे राज्य में राजनीतिक विवाद गहरा गया है। कालाबुरागी जिले के अलंद में “हिजाब हमारा अधिकार है” शीर्षक वाली रैली का नेतृत्व करने वाले एआईएमआईएम नेता जहीरुद्दीन अंसारी सहित कई नेताओं […]

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Muslim accused will not be prosecuted, Hindus will be prosecuted, Congress is doing this!
  • October 15, 2024 3:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

कर्नाटक: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने COVID-19 महामारी के दौरान हिजाब विरोध प्रदर्शन से संबंधित कुछ मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जिससे राज्य में राजनीतिक विवाद गहरा गया है। कालाबुरागी जिले के अलंद में “हिजाब हमारा अधिकार है” शीर्षक वाली रैली का नेतृत्व करने वाले एआईएमआईएम नेता जहीरुद्दीन अंसारी सहित कई नेताओं के खिलाफ आरोप राज्य मंत्रिमंडल द्वारा वापस ले लिए गए हैं।

 

आरोप लगाया है

 

ये विरोध प्रदर्शन महामारी की तीसरी लहर के दौरान हुए, जिसके कारण महामारी रोग अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की गई। विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना करते हुए सरकार पर राजनीतिक पूर्वाग्रह और तुष्टिकरण का आरोप लगाया है. हालाँकि, सरकार ने दावणगेरे जिले के हरिहर में हिजाब विरोधी प्रदर्शन करने वाले हिंदू छात्रों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने से इनकार कर दिया है। उन पर मुस्लिम लड़कियों से जबरन हिजाब उतारने, गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और दंगा करने का आरोप लगाया गया था।

 

विरोध प्रदर्शन किया

 

एक उपसमिति ने इन मामलों को वापस लेने की भी सिफारिश की थी, लेकिन राज्य कैबिनेट ने आरोपों को बरकरार रखा, जिसके बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे राजनीतिक पूर्वाग्रह करार दिया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह फैसला मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर लगे MUDA भूमि घोटाले के आरोपों से ध्यान भटकाने की कोशिश है. वरिष्ठ भाजपा नेता अश्वथ नारायण ने भी सरकार की आलोचना करते हुए इसे पक्षपात और तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार स्पष्ट रूप से एक समुदाय को विशेष लाभ देने की कोशिश कर रही है और सभी पर एक ही कानून लागू नहीं कर रही है। बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस पर एक खास समुदाय के पक्ष में पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन किया.

 

कोशिश कर रही

 

कर्नाटक सरकार ने केंद्रीय मंत्री वी सोमन्ना के खिलाफ तीन मामले वापस लेने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। ये मामले कावेरी जल विवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन से जुड़े थे. बीजेपी ने भी इस पर सवाल उठाए और कहा कि सरकार न्याय का चयनात्मक इस्तेमाल कर रही है और कुछ को बचाने की कोशिश कर रही है. राज्य सरकार के इस कदम पर बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने केस वापस लेने का जो फैसला लिया है, वह कानूनी आधार पर नहीं बल्कि राजनीतिक और धार्मिक आधार पर लिया गया है.

 

नाराजगी जताई है

 

इस मुद्दे पर कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि सरकार ने हर मामले की गंभीरता के आधार पर विश्लेषण किया है और केवल उन्हीं मामलों को वापस लिया है जिनमें कोई ठोस सबूत नहीं थे. सरकार का कहना है कि झूठे आरोपों वाले या बिना ठोस सबूत के मामले वापस लेना उचित है. इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और अन्य बीजेपी नेताओं ने नाराजगी जताई है. जोशी ने हुबली दंगा मामलों का जिक्र करते हुए सवाल उठाया कि क्या पथराव करने वाले देशभक्त थे? बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस सरकार ने हुबली हिंसा 2022 में शामिल मुस्लिम आरोपियों के केस वापस ले लिए थे.

 

तोड़फोड़ की थी

 

उस वक्त मुस्लिम भीड़ ने पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया था और इस हमले में 10 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. कट्टरपंथियों की भीड़ ने थाने में तोड़फोड़ की थी, पथराव किया था और पुलिस की गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया था. लेकिन कांग्रेस सरकार उन घायल पुलिसकर्मियों को भी न्याय नहीं दिला सकी और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति के कारण आरोपियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिये। इस पर सवाल उठे कि क्या ये आरोपियों को दूसरी बार पुलिस पर हमला करने की छूट देने वाला फैसला नहीं है?

केस वापस ले लिया

 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह मामला कांग्रेस और एआईएमआईएम के रिश्तों पर भी सवाल उठाता है. कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी कई बार आरोप लगाते रहे हैं कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम बीजेपी की बी टीम है, जो विपक्षी पार्टियों के वोट काटने का काम करती है. 2023 में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने नारा भी दिया था, ‘मोदी जी के दो दोस्त, औवेसी और केसीआर.’ हालांकि, अब कांग्रेस सरकार ने हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले AIMIM नेताओं पर दर्ज केस वापस ले लिया है. अगर ऐसा है तो कांग्रेस से पूछा जाना चाहिए कि AIMIM किसकी बी टीम है?

इसके साथ ही यह भी देखा गया है कि स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले हिंदू छात्रों के खिलाफ दर्ज मामले जारी रहेंगे। कांग्रेस सरकार के इस कदम पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लग रहा है, खासकर बीजेपी और अन्य विपक्षी दल इसे तुष्टिकरण और असमानता का सबूत मान रहे हैं.

इस तरह के फैसले सरकार की निष्पक्षता और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं और कर्नाटक में राजनीतिक माहौल को और गर्म करते दिख रहे हैं।

 

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