नई दिल्ली: जब बीजेपी ने केंद्र में तीसरी बार अपनी सरकार बनाई तो जेपी नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और दो बड़े मंत्रालयों स्वास्थ्य मंत्रालय और उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि बीजेपी को जल्द ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा. बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए […]
नई दिल्ली: जब बीजेपी ने केंद्र में तीसरी बार अपनी सरकार बनाई तो जेपी नड्डा को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और दो बड़े मंत्रालयों स्वास्थ्य मंत्रालय और उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. इससे ये तो स्पष्ट हो गया कि बीजेपी को जल्द ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलेगा. बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए कई नामों की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन सबसे मजबूत दावेदारी यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की है. ऐसा क्यों? आइए जानते हैं.
केशव प्रसाद मौर्य के पक्ष में सबसे बड़ी बात जो जाती है कि वो उत्तर प्रदेश से आते हैं. वही उत्तर प्रदेश जहां भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 की सबसे बड़ी हार झेलनी पड़ी थी. जाहिर है कि उत्तर प्रदेश की जनता के बीच बीजेपी सरकार को लेकर आक्रोश है. जनता को खुश करने के लिए बीजेपी मौर्य को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर संदेश देना चाहेगी कि बीजेपी के शासन में किसी राज्य को अनदेखा नहीं किया जाता और इसके साथ ही तब बीजेपी की कमान, अध्यक्ष के रूप में उत्तर प्रदेश के पास होगी.
दूसरा तर्क- केशव प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष बनाकर उन्हें जनता के सामने ओबीसी चेहरे के रूप में दिखाया जाएगा. क्योंकि इसबार के चुनाव में ओबीसी वोटों की संख्या में बीजेपी को भारी गिरावट का सामना करना पड़ा था. अब यदि दोबारा ओबीसी का विश्वास जीतना है तो किसी ओबीसी नेता को किसी बड़े पद पर बीजेपी को बैठाना होगा. क्योंकि अखिलेश यादव अब उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओबीसी समुदाय के बड़े नेता के तौर पर उभार पर हैं. ऐसे में कोई ओबीसी नेता ही उन्हें सामने से टक्कर दे तो जनता का रुख अखिलेश से मुड़कर उसकी तरफ हो सकता है.
तीसरा तर्क- केशव प्रसाद मौर्य को पार्टी के ऐसे नेता के रूप में देखा जाता है जो पार्टी लाइन और उसके अनुशासन को सख्ती से मानते हैं. साल 2017 में जब यूपी में बीजेपी अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य थे तब पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था और कयास लग रहे थे कि पार्टी केशव प्रसाद मौर्य को ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बनाया गया और मौर्य को उप मुख्यमंत्री पद दिया गया. इसके बावजूद केशव प्रसाद मौर्य अपना काम शालीनता से करते रहे और कोई बगावत के सुर नहीं उठाए.
चौथा तर्क- उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बारे में माना जाता है कि पार्टी के बड़े और वरिष्ठ नेताओं के साथ अच्छे सम्बंध हैं. मौर्य आम जनता के लिए के लिए भी आसानी से उपलब्ध रहते हैं जिससे जनता के बीच उनकी काफी लोकप्रियता है.
बता दें कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए केशव प्रसाद मौर्य के अलावा राजस्थान के ओमप्रकाश माथुर और सुनील बंसल का नाम भी चल रहा है. महाराष्ट्र से आने वाले विनोद तावड़े वर्तमान समय में पार्टी के महासचिव के तौर पर कार्यरत हैं. विनोद तावड़े की दावेदारी को भी लोग मजबूत मान रहे हैं क्योंकि उन्हें लंबे समय से संगठन में कार्य करने का अनुभव है. इसके अलावा उनके पक्ष में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव भी जाते हैं क्योंकि पहले की तुलना में महाराष्ट्र में बीजेपी कमजोर हुई है विनोद तावड़े को अध्यक्ष बनाकर जनता को खुश कर सकती है.
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