बजट सत्र की शुरूआत हो चुकी है. सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद लोकसभा और राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) पेश किया गया. पिछले साल के बजट में हुए आवंटन का लेखा-जोखा इकोनॉमिक सर्वे के रूप में संसद में पेश हो गया है. इकोनॉमिक सर्वे में आगामी वित्त वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) 6.75 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं साल 2019 में जीडीपी की रफ्तार बढ़ने का अनुमान जताया गया है और इस दौरान यह 7 से 7.75 फीसदी पर पहुंच सकती है. इकोनॉमिक सर्वे में मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए व्यापक तैयारियों का जिक्र किया है.
नई दिल्लीः संसद का बजट सत्र 29 फरवरी यानी आज से शुरू हो चुका है. मोदी सरकार इस साल का बजट पेश करने के लिए तैयार है. 1 फरवरी को संसद में बजट पेश किया जाएगा. सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बाद लोकसभा और राज्यसभा में इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) पेश किया गया. पिछले साल के बजट में हुए आवंटन का लेखा-जोखा इकोनॉमिक सर्वे के रूप में संसद में पेश हो गया है. इकोनॉमिक सर्वे में आगामी वित्त वर्ष 2018 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार यानी ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) 6.75 फीसदी रहने का अनुमान है. वहीं साल 2019 में जीडीपी की रफ्तार बढ़ने का अनुमान जताया गया है और इस दौरान यह 7 से 7.75 फीसदी पर पहुंच सकती है.
वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वे पेश करते हुए बताया कि आने वाले समय में आर्थिक दृष्टिकोण से अर्थव्यवस्था का प्रबंधन करना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम न होगा. सर्वे में यह भी कहा गया है कि सरकार वित्तीय दायरे और अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. लिहाजा ऐसे में अगर केंद्र सरकार किसी बड़ी योजना की घोषणा करती है तो ऐसी घोषणाएं किसी भी तरह से न ही सरकार और न ही जनता की जीत होगी.
आर्थिक सर्वे 2018 में नोटबंदी के असर पर भी बात की गई है. बताया गया है कि नोटबंदी से सबसे ज्यादा इनफॉर्मल सेक्टर प्रभावित हुआ है क्योंकि यह सेक्टर ज्यादातर कारोबार कैश में करता है. नोटबंदी से कई दूसरे क्षेत्रों में उत्पादन पर भी असर पड़ा है. लघु अवधि में मांग घटी है. 8 नवंबर, 2016 को लागू की गई नोटबंदी का असर हालांकि 2017 की छमाही के बाद कुछ कम हुआ है. दरअसल मध्य अवधि के बाद कैश और जीडीपी का अनुपात बेहतर स्थिति में देखने को मिला. इकोनॉमिक सर्वे में जीएसटी का जिक्र करते हुए कहा गया है कि जीएसटी की वजह से वर्तमान में अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है. हालांकि इसे सर्वे में लघु अवधि के तौर पर देखा जा रहा है. सर्वे में सरकार के सकारात्मक दिशा में उठाए जा रहे कदमों से अर्थव्यवस्था पटरी पर आते ही जीएसटी के फायदे भी नजर आने की बात कही गई है.
आर्थिक सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि भारतीय परिवारों में आज भी बेटी की अपेक्षा बेटे की चाहत व्याप्त है. सर्वे में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारतीय समाज में ज्यादातर माता-पिता तब तक बच्चों की संख्या बढ़ाते रहते हैं जब तक कि उनके परिवार में लड़का पैदा नहीं हो जाता. इससे लिंग अनुपात पर काफी फर्क पड़ता है, जिसकी वजह से सर्वे में लड़का-लड़की अनुपात के अपेक्षाकृत कम रहने का पता चला है. इसी क्रम में सर्वे में भारत और इंडोनेशिया में पैदा होने वाले लड़के-लड़कियों के अनुपात की भी तुलना की गई है.
चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने आर्थिक सर्वे के बारे में बताया कि सरकार अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नए फैसले न लेकर उन मुद्दों को मुकाम तक पहुंचाना चाहती है जो अतीत में अर्थव्यवस्था की प्रगति को लेकर उठाए गए थे. यह काम पूरा करना ही फिलहाल सरकार का लक्ष्य है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए कृषि क्षेत्र, जीएसटी की स्थिरता, टैक्स संबंधी रिफॉर्म्स, निर्यात, रोजगार, कच्चा तेल आदि संबंधी मुद्दे भी सरकार की प्राथमिकता में हैं.
Delhi: Chief Economic Adviser Dr Arvind Subramanian talks about the Economic Survey 17-18 pic.twitter.com/A6jjS3Om5T
— ANI (@ANI) January 29, 2018
इकोनॉमिक सर्वे में रोजगार के मुद्दे पर कहा गया कि वर्तमान में रोजगार को लेकर सरकार के पास व्यापक डेटा मौजूद न होने से इसका आंकलन काफी मुश्किल हो रहा है. हालांकि सरकार इस दिशा में काम कर रही है. फिलहाल के लिए सरकार के सामने देश के युवाओं को बेहतर नौकरी देने की चुनौती मध्य अवधि तक बनी रहेगी. सर्वे के मुताबिक, आने वाले समय में निर्यात अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में मददगार साबित होगा. निर्यात और वैश्विक विकास की रफ्तार का फायदा देश की अर्थव्यवस्था को मिलेगा.
GST brings out new findings on the Indian economy that says reforms has increased tax rolls, formal sector is much bigger than believed, firm structure of exports highly diversified and states are big traders: Chief Economic Adviser Arvind Subramanian pic.twitter.com/IsFKLkaAYu
— ANI (@ANI) January 29, 2018
सर्वे में सरकार ने कालेधन पर नकेल कसने की बात कहते हुए बताया कि देश में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों करदाताओं की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. जीएसटी और नोटबंदी का इसमें अहम योगदान बताया गया. सर्वे के मुताबिक, 2013-14 और 2015-16 में आयकर कलेक्शन जीडीपी का कुल 2 प्रतिशत रहा था. वहीं 2017-18 में यह जीडीपी का 2.3 प्रतिशत रहा. साल 2018 में ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. पिछले वर्ष यह 6.6 फीसदी रहा था.
Economic Survey 2017-18 predicts India's GDP growth to be between 7-7.5% in 2018-19 pic.twitter.com/UmcQVXTN4I
— ANI (@ANI) January 29, 2018
इकोनॉमिक सर्वे में इस बात का जिक्र किया गया कि मध्य अवधि में सरकार का फोकस कृषि, शिक्षा और रोजगार पर होगा. अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में निर्यात बेहद मददगार साबित होगा. इससे जीडीपी की रफ्तार भी बढ़ेगी. इकोनॉमिक सर्वे में इस साल निजी निवेश बेहतर रहने की उम्मीद जताई गई है. हालांकि वित्त वर्ष 2019 में अर्थव्यवस्था का प्रबंधन सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा लेकिन सरकार इससे निपटने के पर्याप्त उपाय तलाश रही है. कई हद तक इसपर काबू पा लिया जाएगा. सर्वे में कच्चे तेल की लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर भी चिंता जताई गई है, जिसकी वजह से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी आसमान छू रही हैं.
Economic Survey 2017-18 tabled in Lok Sabha by FM Jaitley pic.twitter.com/dnsM3PRxHZ
— ANI (@ANI) January 29, 2018
इकोनॉमिक सर्वे में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि वित्त वर्ष 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. सर्वे में कहा गया है कि एक्सपोर्ट सेक्टर से इकोनॉमी को बूस्ट मिलने की उम्मीद है. जैसा कि पहले से तय माना जा रहा था 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्र सरकार का फोकस ग्रामीण विकास, किसानों की हालत सुधारने, औद्योगिक क्षेत्रों, रोजगार, निवेश आदि से जुड़े मुद्दों पर रहेगा, कुछ हद तक इकोनॉमिक सर्वे वैसा ही है. जीएसटी लागू होने के बाद से यह पहला और 2019 आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा.
क्या है इकोनॉमिक सर्वे
यह देश की अर्थव्यवस्था पर केंद्र सरकार की सालाना रिपोर्ट है. वित्त मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्री इसे पेश करते हैं. हर साल बजट सत्र के दौरान पेश किया जाने वाला इकोनॉमिक सर्वे सरकार के साल भर के कामकाज का लेखा-जोखा पेश होता है, इसी को इकोनॉमिक सर्वे कहा जाता है. यह संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में पेश होता है. आर्थिक सर्वे में पिछले साल की अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ-साथ इस बात का भी जिक्र होता है कि सरकार ने बीते साल कहां-कहां कितनी धनराशि खर्च की और पिछले साल के बजट में की गई घोषणाओं को कितनी सफलतापूर्वक निभाया. इकोनॉमिक सर्वे में आगामी साल में अर्थव्यवस्था को लेकर सुधार और सरकार के नीतिगत फैसलों की भी जानकारी होती है.
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