Ayodhya: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें

नई दिल्लीः पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोमवार को श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समाप्त हुई। लाखों रामभक्त इस कार्यक्रम के साक्षी बने। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सेना ने हेलीकॉप्टरों से नवनिर्मित रामजन्मभूमि मंदिर पर फूलों की वर्षा की। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के बाद […]

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Ayodhya: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी के संबोधन की 5 बड़ी बातें

Sachin Kumar

  • January 22, 2024 4:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्लीः पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोमवार को श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समाप्त हुई। लाखों रामभक्त इस कार्यक्रम के साक्षी बने। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सेना ने हेलीकॉप्टरों से नवनिर्मित रामजन्मभूमि मंदिर पर फूलों की वर्षा की। वहीं प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने न्यायपालिका से लेकर जटायु तक को याद किया। आईए हैं जानते पीएम मोदी के भाषण की पांच बड़ी बातें।

रामलला टेंट में नही रहेंगे

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। वे अव भव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास है कि जो घटित हुआ है उसकी अनुभूति देश और दुनिया के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी। हम सब पर प्रभु राम का आशीर्वाद है।

भगवान राम के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी

भारत के संविधान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार प्रकट करुंगा भारत की न्यायपालिका का, जिसने न्याय की लाज रखी।

प्रभु राम से क्षमा याचना

पीएम मोदी ने कहा कि मैं आज प्रभु राम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, त्याग और तपस्या में कुछ कमी हो गई होगी। हम सदियों तक इस काम को नहीं कर पाए। आज वो काम पूरा हो गया। मुझे भरोसा है कि प्रभु राम हमें जरुर क्षमा करेंगे।

गुलामी की मानसिकता को तोड़ा

आगे पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र, अतीत के हर दंश से हौसला लेता हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख चर्चा करेंगे।

जटायु की परकाष्ठा

पीएम मोदी ने कहा कि लंकापति रावण ज्ञानी थे लेकिन जटायु की मूल्य निष्ठा देखिए। वे महाबली रावण से भिड़ गए थे। उन्हें पता था कि पराजित नहीं कर पाएंगे फिर भी उन्होंने रावण से मुकाबला किया। कर्तव्य की यही परकाष्ठा, समर्थ, सक्षम, भव्य, दिव्य भारत का आधार है।

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