Today mud house News | Latest mud house News | Breaking mud house News in English | Latest mud house News Headlines - Inkhabar आज का mud house समाचार:Today mud house News ,Latest mud house News,Aaj Ka Samachar ,mud house समाचार ,Breaking mud house News in Hindi, Latest News Headlines - Inkhabar https://www.inkhabar.com/tag/mud-house December 17, 2024, 12:06 am Inkhabar Inkhabar hi https://www.inkhabar.com/wp-content/themes/inkhabar/images/inkhbar-logo.png Inkhabar https://www.inkhabar.com/ Feed provided by Inkhabar. शहर को छोड़कर गांव में बनाया मिट्टी का घर, न फ्रिज, न एसी, न कूलर, न बिजलीhttps://www.inkhabar.com/national/leaving-the-city-the-earthen-house-built-in-the-village-neither-fridge-nor-ac-nor-cooler-nor-electricity/April 13, 2022, 4:29 pmwp-content/uploads/2022/04/pjimage-13-8.jpgदेश-प्रदेशनई दिल्ली. आर्किटेक्ट तुषार केलकर मुंबई-पुणे के बीच रायगढ़ जिले के उद्धर गांव के खेत में बने अपने मिट्टी के घर (Mud House) में रह रहे हैं। उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के बाद अपने वन्य जीवों और खेती के प्रति लगाव के कारण ही, सादा जीवन जीन...<p><strong> नई दिल्ली. </strong>आर्किटेक्ट तुषार केलकर मुंबई-पुणे के बीच रायगढ़ जिले के उद्धर गांव के खेत में बने अपने मिट्टी के घर (Mud House) में रह रहे हैं। उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के बाद अपने वन्य जीवों और खेती के प्रति लगाव के कारण ही, सादा जीवन जीने का फैसला किया। यहां तुषार अपनी पत्नी और पांच साल के बेटे के साथ रहते है, इसी गांव में उनका पुश्तैनी घर भी है। वह बताते हैं, “सालों पहले हमारा मिट्टी का घर ही था, लेकिन मेरे परिवार ने साल 2000 में घर को पक्के मकान में बदल दिया। इसके बाद, मैंने फिर से अपने लिए गांव से दूर खेत में मिट्टी का घर बनाया, जहां हम सुकून भरा जीवन जी रहे हैं।”</p> <p><img loading="lazy" decoding="async" src="https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8.jpg" alt="" width="790" height="444" class="alignnone size-full wp-image-768591" srcset="https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8.jpg 790w, 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जिससे एक पंखा और कई लाइट्स जलती हैं। उनके घर में टीवी, फ्रिज, AC जैसे कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं हैं।</p> <h2><strong>सात साल पहले सीखा मिट्टी का घर बनाना</strong></h2> <p>तुषार को गांव से विशेष लगाव है। उन्होंने ITI का कोर्स करने के बाद, क़रीब एक साल तक पिम्परी (महाराष्ट्र) में टाटा मोटर्स में काम किया। इस दौरान, प्रकृति के पास रहने की कमी उन्हें हमेशा ही खलती रहती थी। उन्होंने बताया कि छुट्टी वाले दिन और जब भी समय मिलता, तो वह लोनावला के पास किलों में घूमने जाया करते थे। उन्होंने कुछ समय तक टूरिस्ट गाइड के तौर पर भी काम किया, लेकिन वह कुछ और करना चाहता था।</p> <p>काम की तलाश में वह अपने एक दोस्त से मुंबई में मिले थे और उस दोस्त के जरिये ही, उन्हें मुंबई के पास एक रिसॉर्ट में काम करने का मौका मिला। वहां रहते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें सस्टेनेबल (प्राकृतिक चीज़ों से बना पर टिकाऊ) घर बनाना सीखना चाहिए। साल 2011 में तुषार ने लगभग 27 साल की उम्र में उदयपुर जाकर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने हमेशा के लिए शहरी जीवन को अलविदा करके, गांव में ही रहकर काम करने का फैसला किया। उन्होंने एक प्रोजेक्ट के तौर पर ‘आत्मतृप्ति’ की शुरुआत की। यह एक ईको-फ्रेंडली मॉडल है, जहां लोग गांव के परिवेश में रहकर इको-फ्रेंडली आर्किटेक्चर (प्राकृतिक चीज़ों से बना घर) सीखते हैं। तुषार, कोरोना के पहले साल में सात से आठ वर्कशॉप आयोजित करते थे, जिसमें वह मिट्टी के घर बनाना, ऑर्गनिक फार्मिंग आदि सिखाते थे।</p> <p>फिलहाल, वह खेती के साथ मुर्गी पालन का काम भी कर रहे हैं। उनके शहर छोड़कर गांव में बसने के फैसले से उनके माता-पिता भी काफी खुश हैं। तुषार ने बताया, “आज मेरे कई दोस्त बड़े घर में या बड़ी गाड़ी में घूम रहे हैं, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी भी मेरी तुलना उनसे नहीं की, क्योंकि वह जानते हैं कि मैं जो कर रहा हूँ उसमें खुश हूँ।” वहीं, उन्होंने खुद कर्णाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान में तकरीबन आठ ईको-फ्रेंडली घर तैयार किए हैं।</p> <h3><strong>यह भी पढ़ें:</strong></h3> <h3 itemprop="headline" class="cas" data-id="https://www.inkhabar.com/national/new-delhi-city-ncr-why-increasing-cases-of-covid-19-are-scaring-the-people-of-delhi-and-ncr-including-all-states-of-india-jagran-special" data-title="Delhi-NCR में बढ़े कोरोना के केस, अध्यापक-छात्र सब कोरोना की चपेट में, कहीं ये चौथी लहर का संकेत तो नहीं"><a href="https://www.inkhabar.com/national/new-delhi-city-ncr-why-increasing-cases-of-covid-19-are-scaring-the-people-of-delhi-and-ncr-including-all-states-of-india-jagran-special"><strong>Delhi-NCR में बढ़े कोरोना के केस, अध्यापक-छात्र सब कोरोना की चपेट में, कहीं ये चौथी लहर का संकेत तो नहीं</strong></a></h3> <h3 class="tdb-title-text"><a href="https://indianews.in/ipl-2022/ipl-2022-playoff-matches/"><strong>IPL 2022 Playoff Matches: ईडन गार्डन्स में हो सकते हैं आईपीएल 2022 के प्लेऑफ मुकाबले, अहमदाबाद में होगा फाइनल</strong></a></h3>
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<excerpt>नई दिल्ली. आर्किटेक्ट तुषार केलकर मुंबई-पुणे के बीच रायगढ़ जिले के उद्धर गांव के खेत में बने अपने मिट्टी के घर (Mud House) में रह रहे हैं। उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के बाद अपने वन्य जीवों और खेती के प्रति लगाव के कारण ही, सादा जीवन जीन...</excerpt>
<content><p><strong> नई दिल्ली. </strong>आर्किटेक्ट तुषार केलकर मुंबई-पुणे के बीच रायगढ़ जिले के उद्धर गांव के खेत में बने अपने मिट्टी के घर (Mud House) में रह रहे हैं। उन्होंने आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने के बाद अपने वन्य जीवों और खेती के प्रति लगाव के कारण ही, सादा जीवन जीने का फैसला किया। यहां तुषार अपनी पत्नी और पांच साल के बेटे के साथ रहते है, इसी गांव में उनका पुश्तैनी घर भी है। वह बताते हैं, “सालों पहले हमारा मिट्टी का घर ही था, लेकिन मेरे परिवार ने साल 2000 में घर को पक्के मकान में बदल दिया। इसके बाद, मैंने फिर से अपने लिए गांव से दूर खेत में मिट्टी का घर बनाया, जहां हम सुकून भरा जीवन जी रहे हैं।”</p> <p><img loading="lazy" decoding="async" src="https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8.jpg" alt="" width="790" height="444" class="alignnone size-full wp-image-768591" srcset="https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8.jpg 790w, https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8-300x169.jpg 300w, https://www.inkhabar.com/wp-content/uploads/2022/04/pjimage-12-8-768x432.jpg 768w" sizes="auto, (max-width: 790px) 100vw, 790px" /></p> <p>उन्होंने यहां चार कमरों का घर बनाया है, जिसमें सभी कमरों को बांस, गोबर, मिट्टी, भूसी जैसी चीजों से बनाया गया है। उन्होंने छत बनाने के लिए बांस और मिट्टी की टाइल्स का इस्तेमाल किया है। भारी बारिश से बचने के लिए घर की छत से एक्सटेंशन्स दिए हैं, जिसके कारण पानी बाहरी दीवारों को ज्यादा छू नहीं पाता। साल में दो बार दीवारों पर गोबर की लिपाई की जाती है, जिसके कारण बाहर के तापनाम के अनुसार अंदर का तापमान भी बदलता रहता है।</p> <p>पहले उनके घर का फर्श भी मिट्टी का था, लेकिन उन्होंने बताया, “हमारे घर के पास दो झील भी हैं, इसलिए बारिश के समय जमीन से बहुत पानी आता था, जिससे परेशान होकर मैंने पिछले साल ही फर्श को पक्का कर दिया है। हमारे पास ट्रेनिंग के लिए कई लोग आते रहते हैं और हमें सबकी सहूलियत का भी ध्यान रखना पड़ता है।” इस घर में बिजली के लिए सोलर पावर का इस्तेमाल किया गया है, जिससे एक पंखा और कई लाइट्स जलती हैं। उनके घर में टीवी, फ्रिज, AC जैसे कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं हैं।</p> <h2><strong>सात साल पहले सीखा मिट्टी का घर बनाना</strong></h2> <p>तुषार को गांव से विशेष लगाव है। उन्होंने ITI का कोर्स करने के बाद, क़रीब एक साल तक पिम्परी (महाराष्ट्र) में टाटा मोटर्स में काम किया। इस दौरान, प्रकृति के पास रहने की कमी उन्हें हमेशा ही खलती रहती थी। उन्होंने बताया कि छुट्टी वाले दिन और जब भी समय मिलता, तो वह लोनावला के पास किलों में घूमने जाया करते थे। उन्होंने कुछ समय तक टूरिस्ट गाइड के तौर पर भी काम किया, लेकिन वह कुछ और करना चाहता था।</p> <p>काम की तलाश में वह अपने एक दोस्त से मुंबई में मिले थे और उस दोस्त के जरिये ही, उन्हें मुंबई के पास एक रिसॉर्ट में काम करने का मौका मिला। वहां रहते हुए, उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें सस्टेनेबल (प्राकृतिक चीज़ों से बना पर टिकाऊ) घर बनाना सीखना चाहिए। साल 2011 में तुषार ने लगभग 27 साल की उम्र में उदयपुर जाकर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर की पढ़ाई की, जिसके बाद उन्होंने हमेशा के लिए शहरी जीवन को अलविदा करके, गांव में ही रहकर काम करने का फैसला किया। उन्होंने एक प्रोजेक्ट के तौर पर ‘आत्मतृप्ति’ की शुरुआत की। यह एक ईको-फ्रेंडली मॉडल है, जहां लोग गांव के परिवेश में रहकर इको-फ्रेंडली आर्किटेक्चर (प्राकृतिक चीज़ों से बना घर) सीखते हैं। तुषार, कोरोना के पहले साल में सात से आठ वर्कशॉप आयोजित करते थे, जिसमें वह मिट्टी के घर बनाना, ऑर्गनिक फार्मिंग आदि सिखाते थे।</p> <p>फिलहाल, वह खेती के साथ मुर्गी पालन का काम भी कर रहे हैं। उनके शहर छोड़कर गांव में बसने के फैसले से उनके माता-पिता भी काफी खुश हैं। तुषार ने बताया, “आज मेरे कई दोस्त बड़े घर में या बड़ी गाड़ी में घूम रहे हैं, लेकिन मेरे माता-पिता ने कभी भी मेरी तुलना उनसे नहीं की, क्योंकि वह जानते हैं कि मैं जो कर रहा हूँ उसमें खुश हूँ।” वहीं, उन्होंने खुद कर्णाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान में तकरीबन आठ ईको-फ्रेंडली घर तैयार किए हैं।</p> <h3><strong>यह भी पढ़ें:</strong></h3> <h3 itemprop="headline" class="cas" data-id="https://www.inkhabar.com/national/new-delhi-city-ncr-why-increasing-cases-of-covid-19-are-scaring-the-people-of-delhi-and-ncr-including-all-states-of-india-jagran-special" data-title="Delhi-NCR में बढ़े कोरोना के केस, अध्यापक-छात्र सब कोरोना की चपेट में, कहीं ये चौथी लहर का संकेत तो नहीं"><a href="https://www.inkhabar.com/national/new-delhi-city-ncr-why-increasing-cases-of-covid-19-are-scaring-the-people-of-delhi-and-ncr-including-all-states-of-india-jagran-special"><strong>Delhi-NCR में बढ़े कोरोना के केस, अध्यापक-छात्र सब कोरोना की चपेट में, कहीं ये चौथी लहर का संकेत तो नहीं</strong></a></h3> <h3 class="tdb-title-text"><a href="https://indianews.in/ipl-2022/ipl-2022-playoff-matches/"><strong>IPL 2022 Playoff Matches: ईडन गार्डन्स में हो सकते हैं आईपीएल 2022 के प्लेऑफ मुकाबले, अहमदाबाद में होगा फाइनल</strong></a></h3> </content>
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