लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी में सियासी उठापटक जारी है। बीजेपी चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के बाद ताबड़तोड़ बैठक कर रही है। इसी बीच बुधवार, 21 अगस्त की रात में मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा, संघ और सरकार के बीच समन्वय बैठक हुई। बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और […]
लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश बीजेपी में सियासी उठापटक जारी है। बीजेपी चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के बाद ताबड़तोड़ बैठक कर रही है। इसी बीच बुधवार, 21 अगस्त की रात में मुख्यमंत्री आवास पर भाजपा, संघ और सरकार के बीच समन्वय बैठक हुई। बैठक के दौरान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत और अखिलेश के PDA फॉर्मूलों को तोड़ने पर चर्चा हुई।
बताया जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ अब बीजेपी के पुराने फॉर्मूले पर चलेंगे। बीजेपी अब पहले की तरह ही अग्रेसिव होकर हिंदुत्व की राजनीति करेगी। इसी के जरिए वो अखिलेश की जाति की राजनीति को खत्म करेंगे। दरअसल भाजपा समझ गई है कि वह जाति की राजनीति करके चुनाव नहीं जीत सकती इसलिए अब वो हिंदुत्व के एजेंडे पर ही अग्रेसिव होगी। हाल ही में देखा गया कि सीएम योगी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार का मुद्दा प्रखरता से उठाया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में बचे हुए हिन्दुओं में से 90 फीसदी दलित हैं। मजाल है कि इस मामले में सिले हुए मुंह वाले कुछ बोले।
योगी ने कहा कि विपक्ष को मालूम है कि बांग्लादेश का हिंदू उनके लिए वोटर नहीं होगा लेकिन बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा करना हम सभी का दायित्व है। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2014, विधानसभा चुनाव 2017, लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में राष्ट्रवाद के सहारे ही बीजेपी ने जातियों को बंटने से रोका। ओबीसी में यादव को छोड़कर सभी जातियां भाजपा की तरफ आई लेकिन 2024 के चुनाव में इनमें बिखराव हुआ। नतीजन बीजेपी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। बीजेपी और आरएसएस की बैठक में आगामी उपचुनाव के साथ-साथ 2027 यूपी चुनाव के लिए भी जाति के बदले राष्ट्रवाद के मुद्दे पर आगे बढ़ने की रणनीति बनाई गई है। भाजपा नेताओं का मानना है कि जाति की राजनीति उनके लिए नुकसानदेह साबित होता है।
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