लखनऊ। यूपी कैबिनेट ने सोमवार को हुई बैठक में बड़ा फैसला लिया। इसके तहत अब प्रदेश में ही डीजीपी तय किया जाएगा। इसके लिए यूपीएससी को पैनल नहीं भेजा जाएगा। पुलिस महानिदेशक पर तैनाती के लिए नई नियामवली सोमवार को बैठक में पास हो गई। उत्तर प्रदेश में DGP का कार्यकाल अब दो साल का होगा। हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी नए जज का चुनाव करेगी। यूपी कैबिनेट के इस फैसले पर सब हैरान है क्योंकि यह गुप्त तरीके से लिए गया और इसे देर रात सार्वजानिक किया गया।
योगी कैबिनेट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कैबिनेट के फैसले में बदल दिया है। कहा जा रहा है कि यह प्रस्ताव प्रशांत कुमार को पूर्णकालिक डीजीपी बनाने के लिए लाया गया है। इसके बाद उन्हें दो साल का निश्चित कार्यकाल मिलेगा। DGP चुनने वाली कमेटी में मुख्य सचिव, UPSC की तरफ से नामित एक व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष या उनकी तरफ से नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव और एक रिटायर डीजीपी करेंगे।
जानकारी के मुताबिक डीजीपी का चयन सेवा अवधि ,अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर किया जाएगा। नया DGP उसी को बनाया जाएगा जिसकी कम से कम 6 महीने नौकरी बची हो। एक बार चुने जाने के बाद वो दो साल तक अपने पद पर रहेंगे। अगर नियुक्त डीजीपी किसी आपराधिक मामले में या फिर अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहते हैं तो उन्हें दो साल कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सरकार हटा सकती है।
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