लखनऊ: योगी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल नंद गोपाल दास की सजा के खिलाफ दाखिल अपील को हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. मामले में नंद गोपाल गुप्ता नंदी को हाईकोर्ट ने अब रेगुलर जमानत भी दे दी है.गौरतलब है कि एमपी एमएलए […]
लखनऊ: योगी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल नंद गोपाल दास की सजा के खिलाफ दाखिल अपील को हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. मामले में नंद गोपाल गुप्ता नंदी को हाईकोर्ट ने अब रेगुलर जमानत भी दे दी है.गौरतलब है कि एमपी एमएलए कोर्ट ने नंदी को 25 जनवरी 2023 को एक साल की सजा सुनाई थी.
गौरतलब है कि 25 जनवरी को एमपी एमएलए कोर्ट ने उनके खिलाफ 2014 लोकसभा चुनाव से जुड़े एक मामले में दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी. मामले में दोषी पाते हुए अब योगी सरकार के मंत्री को एक साल की सजा सुनाई गई थी. इसके अलावा उनपर दस हजार रुपये का जुर्माना भी लग गया था. IPC की धारा 147 और 323 के तहत उन्हें दोषी पाया गया था. बता दें, पूरे 9 साल बाद उनके खिलाफ सजा सुनाई गई थी. हालांकि ये पहली बार नहीं था जब योगी सरकार के मंत्री विवादों में आए.वह अपने नाटकीय कार्यकाल और कैबिनेेट मंत्री बनने के घटनाक्रम को लेकर चर्चा में रहे.
नंदी पिछले कुछ समय से फिल्म डिप्लोमेसी की वजह से सुर्खियों में रहे हैं. विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने पीएम मोदी पर बनी बायोपिक को प्रयागराज में हजारों लोगों को फ्री में दिखाया था. ‘द कश्मीर फाइल्स ’ को लेकर भी उन्होंने प्रयागराज में शो बढ़वाने से लेकर उस फिल्म से जुड़ी टीम की सीएम योगी से मुलाकात करवाने तक अहम भूमिका निभाई थी.
इसके अलावा उन्होंने एक करोड़ से ज्यादा की धनराशि राम मंदिर निर्माण के लिए दान दी थी. इन्हीं सब कारणों की वजह से योगी पार्ट टू सरकार में दूसरी बार अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं. इसके अलावा नंदी ने 2007 में बसपा के टिकट पर अपना पहला चुनाव जीता था. वह साल 2017 में भाजपा में शामिल हुए और उसके बाद योगी सरकार में मंत्री बने. तीसरी बार वह कैबिनेट मंत्री बनने में कामयाब हुए.
नंदी का बचपन तंगी में बीता जहाँ नंदी के पिता सुरेश चंद्र डाक विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. उनकी मां विमला देवी सिलाई, बुनाई का काम किया करती थी. परिवार की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह बचपन में पटाखा, रंग-गुलाल की दुकान लगाते थे.साल 1992 में उन्होंने मिठाई की दुकान खोली और बाद में ट्रक लिया और घी एवं दवाओं की एजेंसी भी खरीद ली. आर्थिक स्थिति में सुधार आते ही उन्होंने खुद की कंपनी नंदी ग्रुप ऑफ कंपनीज बनाई।
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