लखनऊ: अमेठी की महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से अच्छा खासा मुनाफा कमा रही हैं. इस समूह से रीता नामा की एक महिला भी जुड़ी हुई है, वो समूह के जरिए अपनी किस्मत बदल चुकी हैं और अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं. वो कभी कर्ज में डूबी रहती थीं, लेकिन उन्होंने वक्त के साथ अपने हालात भी बदल लिए. तो चलिए जानते हैं रीता की कहानी.
2010 में गौरीगंज तहसील के उजाला स्वयं सहायता समूह में रीता जुड़ी थीं. रीता की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण वो कर्ज में डूबी रहती थी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मूंज प्रोडक्ट्स के साथ सिलाई-कढ़ाई का काम शुरू किया. शुरुआत में कुछ कठिनाइयां आईं, लेकिन बाद में सफलता मिलने लगी. रीता के समूह में आज करीब 10 महिलाएं काम कर रही हैं और सभी को अच्छा मुनाफा हो रहा है.
रीता और उनके समूह की महिलाएं टोकरी, चटाई, दरी, पी बॉक्स, रोटी बॉक्स, सूट-सलवार, ब्लाउज, पेटीकोट, प्लाज़ो, कुर्ती के साथ-साथ कुर्सी-मेज भी बनाती हैं. इन सामानों की कीमत 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक होती है और इससे सभी को अच्छा मुनाफा होता है.
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