नई दिल्ली : 2002 में गुजरात में बहुत ही शर्मनाक घटना हुई थी. जिसकी आजतक चर्चा होती है. गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में 11 दोषियों की साज को आजीवन कारावास में बदल दिया था. गुजरात हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और दोषियों को मौत […]
नई दिल्ली : 2002 में गुजरात में बहुत ही शर्मनाक घटना हुई थी. जिसकी आजतक चर्चा होती है. गुजरात हाईकोर्ट ने गोधरा ट्रेन आगजनी मामले में 11 दोषियों की साज को आजीवन कारावास में बदल दिया था. गुजरात हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी और दोषियों को मौत की सजा देने के लिए दबाव बनाएगी.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टीस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई को लिए 3 सप्ताह के बाद की तारीख तय की है. कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकील को एक समेकित चार्ट दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि चार्ट में आरोपियों का पूरा विवरण हो जिसमें लिखा हो कि कितना समय जेल में बिताए है.
तुषार मेहत गुजरात सरकार के सॉलिसिटर जनरल है. उन्होंने पीठ को बताया कि हम दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए गंभीरता से दबाव डालेंगे. इन आरोपियों की सजा गुजरात हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. यह बहुत ही खतरनाक मामला है , जिसमें बच्चों और महिलाओं सहित 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी.
तुषार मेहता ने कहा कि सबको पता है कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था. ट्रेन के बोगी में महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. तुषार मेहता ने कहा कि 11 दोषियों को होईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. कुछ लोगों का कहना है कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव तक ही सीमित थी.
तुषार मेहता ने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले में कुल 31 सजाओं को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने 30 जनवरी को इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था.
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