लखनऊ। सियाचिन में अपने साथियों को बचाने के दौरान शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह के परिवार को उनके साहस और बहादुरी के लिए राष्ट्रपति ने 5 जुलाई 2024 को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। कीर्ति चक्र लेने शहीद अंशुमान की पत्नी और उनकी मां गई थी। इसी बीच शहीद के माता-पिता ने अपना दर्द बयां किया है।
शहीद बेटे की मां का कहना है कि उनकी बहू अपने पति के पहले बरसी पर भी नहीं आई थी। उन्होंने कहा कि बेटे की बरसी पर घर में पूजा होती है, जिसमें पत्नी का होना बेहद जरूरी होता है। हमने बहू को फ़ोन किया कि आपको एक दिन के लिए पूजा में आना पड़ेगा। पहले तो उसने कहा कि मम्मी मैं आऊंगी लेकिन बाद में उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया। इतना ही नहीं बेटे का कीर्ति सम्मान लेने जब वो राष्ट्रपति भवन पहुंची उस दौरान भी उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई।
शहीद अंशुमान सिंह के पिता राम प्रताप सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने बेटे की खुशी के लिए स्मृति से उसकी शादी की थी। दोनों परिवार बेहद खुश थे और बड़े शौक अरमान से ये शादी हुई। शादी के बाद स्मृति अपनी ननद के साथ नोएडा में बीडीएस की पढ़ाई करने लगी। 19 जुलाई को जब उनका बेटा शहीद हुआ तो वो गोरखपुर आईं। हालांकि 13वीं के अगले दिन ही जाने की जिद्द करने लगी। स्मृति के पिता ने पूरी जिंदगी का हवाला दिया तो मैंने कहा अब ये मेरी बेटी है। अगर स्मृति चाहेगी तो हम दोनों मिलकर खुशी खुशी इसकी शादी करेंगे। मैं उसे एक पिता की हैसियत से विदा करूंगा लेकिन स्मृति जब गई तो नोएडा से उनके बेटे का सारा सामान लेकर चली गईं।
इकलौते बेटे के शहीद होने पर बेसहारा हुए बूढ़े मां-बाप, पैसे और सोना लेकर मायके चली गई बहू
तेरहवीं के अगले दिन ही बहू छोड़कर चली गई…शहीद अंशुमान की पत्नी पर माता-पिता का बड़ा आरोप
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