उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बुधवार सुबह मौनी अमावस्या के अवसर पर गंगा में शाही स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के इकट्ठा होने के दौरान भगदड़ मच गई. कई एंबुलेंस घाट पर पहुंचीं और घायलों को इलाज के लिए मेला ग्राउंड के अंदर केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में बुधवार सुबह मौनी अमावस्या के अवसर पर गंगा में शाही स्नान के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के इकट्ठा होने के दौरान भगदड़ मच गई. कई एंबुलेंस घाट पर पहुंचीं और घायलों को इलाज के लिए मेला ग्राउंड के अंदर केंद्रीय अस्पताल ले जाया गया. इस घटना में कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है. हालांकि आधिकारिक तौर पर मृतकों की संख्या की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन इस घटना को लेकर सपा पार्टी सवाल उठ रहे हैं. साथ ही कहा गया है कि महाकुंभ की सुरक्षा सेना को क्यों नहीं सौंपी गई.
महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद पुरी जी महाराज ने कहा कि हमारे देश में सेवाभावी लोगों की कमी नहीं है. अगर इस कुंभ को सेना के हवाले कर दिया गया होता तो मुझे नहीं लगता कि इतनी बड़ी दुर्घटना घटित होती. उन्होंने कहा, “हम इस घटना से बहुत दुखी हैं. उन्होंने कहा कि इस हादसे में किसी ने अपना बेटा खोया है तो किसी ने अपना पिता. इसके साथ ही वह रोने लगे. देखिए, अखाड़े प्रशासन के कहे अनुसार काम करते हैं. हम संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास करते हैं और संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार ही प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इस मेले का सही तरीके से संचालन हो.”
उधर, समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया, ‘महाकुंभ में सरकारी कुप्रबंधन, वीआईपी गुंडागर्दी, पुलिस और सरकारी भ्रष्टाचार, भाजपा नेताओं द्वारा अपने रिश्तेदारों और करीबियों के लिए वीआईपी स्नान की व्यवस्था के कारण आम आदमी महज भीड़ बनकर रह गया और भगदड़ मचने से आम आदमी की मौत हो गई. पुलिस की बर्बरता के कारण दर्जनों लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘मृतकों को श्रद्धांजलि व उनके परिजनों के प्रति संवेदना तथा घायलों का समुचित इलाज कराया जाए तथा मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए तथा शवों को उनके घर पहुंचाया जाए तथा सरकार को घायलों व मृतकों के परिजनों की तुरंत सुध लेनी चाहिए और उन्हें ऐसे ही लावारिस नहीं छोड़ना चाहिए. ‘हकीकत में ये मौतें योगी-भाजपा सरकार द्वारा लोगों का जान लेना है और इसके लिए सीएम योगी और सरकार तथा उनका झूठा वैश्विक प्रचार जिम्मेदार है, सीएम योगी और भाजपा नेताओं को बड़े-बड़े दावों पर पर्दा डालने की बजाय जनता को बताना चाहिए कि मौतों की वास्तविक सरकारी संख्या क्या है और ये मौतें इस योगी सरकार के माथे पर कलंक हैं।
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