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Karnataka: कांग्रेस के संकटमोचन क्यों कहलाते हैं DK Shivkumar? जानें 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली: खिरकार कर्नाटक को उसका मुख्यमंत्री मिल ही गया जहां एक बार फिर सिद्धारमैया को कांग्रेस ने राज्य की कमान सौंप दी है. वहीं सीएम रेस के दूसरे बड़े दावेदार डीके शिवकुमार को केवल डिप्टी सीएम के पद पर संतोष करना पड़ा. डिप्टी सीएम के साथ-साथ वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी बने रहेंगे. ऐसे में ये भी जान लेना जरूरी है कि शिवकुमार की पार्टी में कितनी अहमियत है.

डीके शिवकुमार कितने हैं खास

शिवकुमार को कट्टर कांग्रेसी कहा जाता है जिनका जन्म 15 मई 1962 को कनकपुरा में डोड्डालहल्ली केम्पे गौड़ा में हुआ. अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने अस्सी के दशक में छात्र राजनीति से की थी.

कर्नाटक में लिंगायतों के बाद दूसरे सबसे प्रभावशाली समुदाय वोक्कालिगा समुदाय से शिवकुमार आते हैं. शिवकुमार अपने छात्र जीवन से ही कांग्रेस से जुड़े रहे. उन्हें गांधी परिवार का वफादार कहा जाता है. कहा तो ये भी जाता है कि कई बार भाजपा ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल करना चाहा लेकिन हर बार उन्होंने इनकार कर दिया.

शिवकुमार 2020 में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख बने और कांग्रेस को एक बार फिर से राज्य में खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही जिसे पार्टी नहीं भुला सकती है. पार्टी को दोबारा उनकी रणनीतियों के कारण ही मजबूती मिली.

2017 के गुजरात में राज्यसभा चुनाव में स्वर्गीय अहमद पटेल की जीत के पीछे भी उन्हीं का हाथ था. पश्चिमी राज्य में उन्होंने एक रिसॉर्ट में कांग्रेस विधायकों को घेर लिया था. वह कई बार भाजपा से लोहा ले चुके हैं जिसकी सराहना पूरे प्रदेश के कांग्रेसी करते हैं.

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से शिवकुमार के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज़ किया गया था. उन पर टैक्स चोरी और हवाला लेनदेन का आरोप था. इसके बाद भी कांग्रेस उनपर भरोसा जता रही है. यही वजह है कि वह सीएम रेस का हिस्सा बने.

आर्थिक मदद देने की बात हो तो डीके शिवकुमार का नाम सबसे पहले आता है चाहे बात कर्नाटक कांग्रेस की हो या भारत जोड़ो यात्रा की. उन्होंने हर मौके पर पार्टी को आर्थिक सहयोग दिया है. जानकारी के अनुसार इस बार विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने दिल खोलकर पैसे खर्च किए थे.

संगठन के एक अच्छे कप्तान के रूप में शिवकुमार की छवि है. पिछली कांग्रेस सरकार में वह मंत्री रह चुके हैं और इसके बाद पार्टी प्रमुख का पद भी उन्हें दिया गया है. ख़ास बात ये है कि उनके चीफ रहते हुए ही पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 जीता है.

सथानूर विधानसभा सीट से जब उन्होंने चुनाव लड़ा था तब उनकी उम्र केवल 27 थी. उन्होंने तीन दशकों के बाद कनकपुरा सीट पर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा.

जाति समूहों के किसी भी वर्ग में उनके पास मजबूत समर्थन का आधार नहीं है, लेकिन वह सभी मुद्दों से निपटना जानते हैं. उनके पास विरोधियों के बीच विश्वास और भय पैदा करने वाला व्यक्ति है.

 

कांग्रेस हाईकमान में उनकी पकड़ काफी अहम है जिसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके जेल में होने पर उनसे मिलने के लिए खुद सोनिया गांधी आई थीं. जब कांग्रेस कर्नाटक में जीत गई तो वो रो भी दिए थे.

सोनिया से बातचीत के बाद डिप्टी CM बनने के लिए तैयार हुए डीके शिवकुमार, कहा- पार्टी हित….

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Riya Kumari

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