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Delhi MCD Election 2022 : पार्षद चुनाव से होकर जाता है मुख्यमंत्री बनने का रास्ता?

नई दिल्ली : दिल्ली में MCD चुनावों का बिगुल बज चुका है. तीन भागों में विभाजित दिल्ली नगर निगम अब एक हो चुकी है. 4 दिसंबर को दिल्ली में निगम पार्षद चुनावों के लिए मतदान होगा। दिल्ली वासी कुल 250 वार्ड के लिए मतदान करेंगे. जहां नगर निगम के लिए 7 दिसंबर को मतों की […]

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Delhi MCD Election 2022 : पार्षद चुनाव से होकर जाता है मुख्यमंत्री बनने का रास्ता?
  • November 14, 2022 3:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : दिल्ली में MCD चुनावों का बिगुल बज चुका है. तीन भागों में विभाजित दिल्ली नगर निगम अब एक हो चुकी है. 4 दिसंबर को दिल्ली में निगम पार्षद चुनावों के लिए मतदान होगा। दिल्ली वासी कुल 250 वार्ड के लिए मतदान करेंगे. जहां नगर निगम के लिए 7 दिसंबर को मतों की गिनती की जाएगी. इस बार भी दिल्ली नगर निगम चुनावों में मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच ही होने वाला है. बता दें, इस समय दिल्ली एमसीडी पर भाजपा काबिज है. ऐसे में दिल्ली की सीट आप के लिए और भी मायने रखती है. क्योंकि माना जाता है कि एमसीडी चुनावों को जीतने वाली पार्टी के लिए दिल्ली मुख्यमंत्री बनने का भी रास्ता साफ़ हो जाता है. कैसे? आइए जानते हैं.

 

पार्षद चुनाव है CM कुर्सी का रास्ता

दिल्ली एमसीडी देश की सबसे अहम एमसीडी में से एक है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली MCD के पास 15 हजार करोड़ से ज्यादा का बजट होता है. इतना ही नहीं दिल्ली सरकार भी MCD को खर्चे के लिए बजट देती है. इसी बजट से राजधानी में तमाम विकास कार्य किए जाते हैं. ऐसे में इतने बड़े बजट पर काबिज होने की हसरत भी सभी पार्टियां रखती हैं. इस भारी भरकम बजट का फायदा पार्टी के आंतरिक कामों में मिलता है. पार्टी इस बजट के सहारे दिल्ली की सियासत में अपना मजबूत वोट बैंक तैयार कर सकती है. ऐसे में बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस इस बार भी एमसीडी चुनावों की दौड़ में भागने को तैयार हैं. खासकर भाजपा और आम आदमी पार्टी.

सरकार और MCD के बीच बिगड़ा संतुलन

यदि दिल्ली की ही सत्ताधारी पार्टी एमसीडी पर काबिज होती है तो यह बड़ी बात है. क्योंकि राज्य सरकार और एमसीडी के बीच समन्वय अधिक सरल तरीके से हो सकेगा. हालांकि अभी ऐसा नहीं है. क्योंकि दिल्ली में एमसीडी पर भाजपा का कब्ज़ा है तो वहीं आम आदमी पार्टी सियासत पर जमी है. दोनों पार्टियों के बीच अक्सर ही संतुलन बिगाड़ता देखा जा सकता है. इस संतुलन से सीधा नुकसान जनता का होता है. नतीजन बीते पांच सालों में कई बार एमसीडी के साफ-साफा कर्मचारियों ने हड़ताल की तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इसके लिए भी एक-दूसरे पर आरोप लगाती रही.

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