बिहार के डॉन संतोष झा की मंगलवार को सीतामढ़ी कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई. उसे पेशी के लिए कोर्ट लाया गया था. संतोष झा की हत्या में कभी उसके राइट हैंड रहे शूटर मुकेश पाठक पर शक जताया जा रहा है.
सीतामढ़ीः मंगलवार को बिहार के सीतामढ़ी कोर्ट परिसर में अचानक गोलियों की गड़गड़ाहट से अफरातफरी मच गई. कुछ अज्ञात लोग एक शख्स को मारने के लिए आए थे और वह अपने मंसूबों में कामयाब भी रहे. जिस शख्स की उन्होंने गोली मारकर हत्या की थी वह कोई और नहीं बिहार का डॉन संतोष झा था. संतोष के सिर और सीने में गोली लगी है. संतोष झा दोहरे इंजीनियर हत्याकांड में सजा काट रहा था. संतोष की हत्या का शक कभी उसके राइट हैंड रहे मुख्य शूटर मुकेश पाठक गैंग पर जताया जा रहा है.
संतोष झा जेल में बंद था और उसके ऊपर कई संगीन वारदातों को अंजाम देने का आरोप था. वह जेल के अंदर से ही अपना गैंग चला रहा था. 26 दिसंबर, 2015 को दरभंगा में हुए दो इंजीनियरों की हत्या में संतोष झा गैंग का ही हाथ था और इस मामले समेत तीन दर्जन से ज्यादा केस में संतोष झा, उसके शूटर मुकेश पाठक समेत 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. बताया जा रहा है कि जेल में संतोष झा की किसी बात पर मुकेश पाठक से बहस हो गई और इसके बाद मुकेश संतोष झा गैंग से अलग हो गया.
दोनों गिरोहों के बीच पिछले काफी समय से गैंगवॉर छिड़ी हुई थी. जुलाई महीने में संतोष झा के शूटर अभिषेक झा की भी मोतिहारी अनुमंडल न्यायालय में पेशी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अभिषेक की हत्या के पीछे मुकेश पाठक गैंग का नाम सामने आया था. इस बार गैंग के सरगना संतोष झा को ही कोर्ट परिसर में गोलियों से भून डाला. संतोष के मर्डर का शक मुकेश पाठक गैंग पर जताया जा रहा है. हालांकि पुलिस अभी किसी भी दावे से इनकार कर रही है. पुलिस का कहना है कि हमलावरों की तलाश में पुलिस की कई टीमें जुटी हैं. बदमाशों की गिरफ्तारी के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.
कौन था बिहार का डॉन संतोष झा?
संतोष झा बिहार के शिवहर जिले के पुरनहिया थाना अंतर्गत दोसितयां गांव का रहने वाला था. संतोष के पिता चंद्रशेखर झा कभी गांव के हीं दबंग जमींदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले नवल किशोर राय के ड्राइवर थे. एक बार किसी बात पर अनबन होने पर दबंग जमींदार ने संतोष के पिता चंद्रशेखर की जमकर पिटाई की थी. पिता के साथ हुई बदसलूकी का बदला लेने के लिए संतोष नक्सलियों के साथ हो लिया और साल 2003 में उसने जमींदार नवल किशोर राय के घर पर हमला बोल दिया.
उस समय तो जमींदार नवल किशोर राय बच गया लेकिन संतोष बदले की आग में सुलग रहा था. बदलते वक्त के साथ नवल किशोर राय ने राजनीति में कदम रखा और वह जिला पार्षद बन गया. 15 जनवरी, 2010 को संतोष ने अपने गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर सीतामढ़ी के राजोपटटी में नवल किशोर राय को उसके घर के बाहर ही गोलियों से भून दिया. पिता के अपमान का बदला पूरा हो चुका था लेकिन तब तक संतोष झा अपराध की दुनिया में बहुत आगे बढ़ चुका था.
अपने नक्सली साथियों के साथ मिलकर उसने रंगदारी, लूटपाट, हत्या समेत कई वारदातों को अंजाम दिया. अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए संतोष ने अपने एरिया कमांडर की हत्या कर दी और खुद नक्सलियों का लीडर बन बैठा. नक्सलियों के एजेंडे से हटकर उसने अपनी आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उसने अपना अलग संगठन ‘बिहार पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ बना लिया. इस संगठन के नाम पर उसने एक के बाद कई वारदातों को अंजाम दिया और वह समूचे बिहार में अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया. दबंग लुक वाले गैंगस्टर संतोष झा को ब्रांडेड कपड़े और चश्मे पहनने का काफी शौक था. वह काले रंग के कपड़े पहनना काफी पसंद करता था.
संतोष झा और उसके गैंग ने 26 दिसंबर, 2015 को दरभंगा में एसएच -88 का निर्माण करा रही सी एंड सी/बीएससी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के दो इंजीनियरों मुकेश कुमार और बृजेश कुमार को गोलियों से भून दिया था. संतोष झा गैंग ने कंपनी से 75 करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी थी. रंगदारी देने से इनकार करने पर उन्होंने कंपनी के दो इंजीनियरों को मौत के घाट उतार दिया. इस हत्याकांड में एके-47 का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद संतोष झा का अपराध की दुनिया में दबदबा बढ़ता चला गया. पिछले साल पुलिस ने कोलकाता के एक फ्लैट से उसे गिरफ्तार किया था. संतोष झा पर बिहार में लगभग तीन दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज थे. इसी साल मार्च में दोहरे इंजीनियर हत्याकांड में संतोष झा, मुकेश पाठक समेत 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.