कोलकाता : पश्चिम बंगाल के शिक्षक घोटाले को लेकर ईडी इस समय काफी सक्रीय है. जहां ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है. आज उन्हें कोर्ट में भी पेश किया जाएगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कौन हैं शिक्षक घोटाला मामले […]
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के शिक्षक घोटाले को लेकर ईडी इस समय काफी सक्रीय है. जहां ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया है. आज उन्हें कोर्ट में भी पेश किया जाएगा. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कौन हैं शिक्षक घोटाला मामले में कथित रूप से घोटाला करने वाले पार्थ चटर्जी?
ईडी ने पार्थ चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया है. उन्हें जल्द ही कोलकाता की बैंकशाल कोर्ट में पेश किया जाएगा. उनपर पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री रहते हुए शिक्षकों की झूठी भर्ती करवाने का आरोप लगा है. बता दें, ममता कैबिनेट में पार्थ चटर्जी की गिनती उन मंत्रियों में की जाती है जो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफी करीबी हैं. साल 2016 में जब शिक्षक घोटाला मामला सामने आया था तब वह ममता सरकार के शिक्षा मंत्री थे. इस समय वह पश्चिम बंगाल सरकार में वाणिज्य और उद्योग विभाग के मंत्री हैं.
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार में हैवीवेट मंत्री पार्थ चटर्जी के पास संसदीय कार्य विभाग का प्रभार भी है. साल 2014 से 2021 तक पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री के पद पर थे. ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी पश्चिम बंगाल तृणमूल कांग्रस के महासचिव भी हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर साल 2001 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था.
दक्षिण कोलकाता की विधानसभा सीट से साल 2001 में पार्थ चटर्जी पहली बार विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद तो जैसे उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 2001 के बाद 2006, 2011, 2016 और 2021 में भी वह पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए. पार्थ की गिनती ममता सरकार के उन मंत्रियों में होती है जिनपर ममता बनर्जी काफी भरोसा करती हैं.
साल 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी वाम दलों का किला ध्वस्त कर सत्ता में आई. इस साल ही पार्थ चटर्जी पर ममता बनर्जी के भरोसे का अंदाजा लगाया जा सकता है जब टीएमसी के सत्ता में आने से पहले ही पार्थ चटर्जी विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. वह विधायक के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान साल 2006 से 2011 तक विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में रहे. जब साल 2016 में ममता बनर्जी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई तो उन्हें उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. उनके कार्यकाल के दौरान ही पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन के जरिये भर्ती हुई थी जिसमें अनियमितता के आरोप की जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं.
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