नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर की शाही लीची अभी बाजारों में नहीं पहुंची है। तो इसी की वजह से किसानों के चेहरे मायूस हैं। दरअसल इस बार मौसम में आए अचानक बदलाव के कारण लीची बिल्कुल नहीं पक पा रही है। ऐसे में लीची के दीवानों की उम्मीद बेमानी है। कहा जाता है कि जिसने भी मुजफ्फरपुर […]
नई दिल्ली: मुजफ्फरपुर की शाही लीची अभी बाजारों में नहीं पहुंची है। तो इसी की वजह से किसानों के चेहरे मायूस हैं। दरअसल इस बार मौसम में आए अचानक बदलाव के कारण लीची बिल्कुल नहीं पक पा रही है। ऐसे में लीची के दीवानों की उम्मीद बेमानी है। कहा जाता है कि जिसने भी मुजफ्फरपुर शाही लीची को एक बार चख लिया वह उसे भूल नहीं सकता। हर साल गर्मी के आगमन के साथ ही बिहार ही नहीं बल्कि देश भर के लीची प्रेमी बाजारों की तलाश शुरू कर देते हैं। लेकिन इस बार कम बारिश ने लीची प्रेमियों की परेशानी बढ़ा दी है। क्योंकि अभी तक असली लीची बाजारों में नहीं पहुंची है।
आम भले ही फलों का राजा हो, लेकिन लीची फलों की रानी है। सबसे रसीले फल के रूप में जाना जाने वाला यह फल हर किसी की पहली पसंद होता है। ऊपर से शाही लीची की बात करें तो क्या कहें। शाही लीची का मुकाबला कोई भी फल नहीं कर सकता, लेकिन इस बार शाही लीची की राजधानी मुजफ्फरपुर के किसानों के चेहरे मासूम हैं। क्योंकि कम बारिश ने उनकी कमाई चुरा ली। लीची के बागानों में इस बार कोई लाली नहीं दिख रही है। क्योंकि लीची अभी पकी नहीं है। यही कारण है कि असली लीची अभी तक बाजारों में नहीं आई है।
शाही लीची की मिठास का विदेशों में भी काफी क्रेज है, लेकिन इस बार मौसम की मार किसानों पर ऐसी पड़ी है कि लीची की फसल ही नहीं पक पाई। पहले तो कम बारिश ने परेशानी बढ़ा दी थी। इसके अलावा, तूफान ने लीची को भी अधिक नुकसान पहुंचाया। किसानों का कहना है कि अचानक मौसम में आए बदलाव के कारण लीची के आकार में भी बदलाव आया है। शाही लीची राजधानी में किसान परेशान हैं। बाजारों में लीची नहीं पहुंच पा रही है। जिन किसानों के लिए यह आय का स्रोत है, उन्हें अब अपनी आजीविका की चिंता है।