संगम नोज इलाके में मची भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई। श्रद्धालुओं के लिए की गई सारी व्यवस्था एक झटके में ध्वस्त हो गई। जो जहां था उसे वहीं रोक दिया गया। तभी ऐसे समय में देश की गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिली।
प्रयागराज। 28 जनवरी की रात संगम नोज इलाके में मची भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई। हालांकि इसके बाद भी अमृत स्नान नहीं रुका और देर रात जाकर संपन्न हुआ। साल भर की तैयारी और 7,535 करोड़ खर्च करने के बाद भी योगी सरकार पर इन मौतों का दाग लग गया। हादसा भयावह था। कुछ लोग रोते-बिलखते अपने परिवार वालों को ढूंढ रहे थे तो कुछ लोग शवों को हाथ से पकड़े हुए थे कि कही बॉडी खो न जाए।
श्रद्धालुओं के लिए की गई सारी व्यवस्था एक झटके में ध्वस्त हो गई। जो जहां था उसे वहीं रोक दिया गया। तभी ऐसे समय में देश की गंगा-जमुनी तहजीब देखने को मिली। 29 जनवरी को 10 से ज्यादा इलाकों में मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाते हुए मस्जिद खोल दिया। 25-26 हजार के करीब लोगों के लिए मस्जिद-मजार-दरगाह- इमामबाड़े खुल गए। मुस्लिमों ने उनके रुकने की व्यवस्था की। उन्हें भोजन-चाय-पानी कराया। जिन लोगों को दवा की जरूरत थी, उन्हें दवा दी।
प्रयागराज के मुस्लिमों ने कई इलाकों में रात भर भंडारा चलाया। उन्होंने श्रद्धालुओं को हलवा-पूड़ी समेत खाने के अन्य सामान दिए। इलाकों के मुस्लिमों का कहना है कि प्रयागराज आये लोग हमारे मेहमान हैं। भगदड़ के बाद हमने देखा कि ये लोग कितने परेशान हैं। सर्द रात में कहां जायेंगे ये सोचकर मस्जिद और दरगाहें खोल दी। एक मोहल्ले के मुस्लिम शिक्षक ने कहा कि हम चाहते थे कि जब वो यहां से जाएँ तो प्रयागराज को याद रखें। हम मुस्लिमों की भी महाकुंभ से पहचान है।
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