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ये कैसी टॉफी जिसे खाने से निकल गए बच्चे के प्राण, माता-पिता सावधान!

लखनऊ: कानपुर के जरौली फेस वन में रविवार शाम पांच वर्षीय अन्वित की मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बता दें अन्वित की मौत का कारण एक “आंख वाली टॉफी” बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार बिना पोस्टमार्टम कराए परिवार ने पिपौरी गांव में उसका अंतिम संस्कार कर दिया। अन्वित […]

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  • November 4, 2024 8:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

लखनऊ: कानपुर के जरौली फेस वन में रविवार शाम पांच वर्षीय अन्वित की मौत से उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। बता दें अन्वित की मौत का कारण एक “आंख वाली टॉफी” बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार बिना पोस्टमार्टम कराए परिवार ने पिपौरी गांव में उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
अन्वित के पिता राहुल कश्यप, जो पेशे से सोफा कारीगर हैं उन्होंने बताया कि रविवार शाम अन्वित पास की दुकान से “फ्रुटोला” कंपनी की 3डी आई सॉफ्ट टॉफी लेकर आया था। इसे खाने के कुछ देर बाद ही उसकी तबीयत बिगड़ गई।

कैसे हुई बच्चे की मौत

इसके बाद अन्वित ने इशारों में परिजनों को बताया कि टॉफी गले में फंस गई है। घबराए परिजनों ने उसे पानी पिलाने का प्रयास किया, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद वे उसे पास के दो निजी अस्पताल ले गए पर वहां इलाज उपलब्ध न होने पर उसे रीजेंसी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई। दुर्भाग्यवश, अस्पताल पहुंचने से पहले ही अन्वित ने दम तोड़ दिया।

इस दुखद घटना की जानकारी पुलिस को सोमवार को हुई। चौकी प्रभारी दीपक गिरी ने बताया कि परिवार ने पोस्टमार्टम से मना कर दिया है और इसकी पुष्टि लिखित में भी की है। हालांकि पुलिस का कहना है कि यदि कोई तहरीर मिलती है, तो जांच की जाएगी।

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दुकानदार ने क्या कहा

बता दें जिस टॉफी को “आंख वाली” कहा जा रहा है, वह असल में जैली के रूप में होती है और बच्चों के लिए सुरक्षित मानी जाती है। कानपुर में इसका वितरण करने वाली कंपनी के संचालक नीरज वाधवानी ने बताया कि वे मामले की जांच करेंगे और डिस्ट्रीब्यूटर से बात करने के बाद ही कुछ कह पाएंगे। वहीं दुकानदार मीनाक्षी देवी के अनुसार, उसी शाम छह बाकी बच्चों ने भी यह टॉफी खरीदी थी और किसी और को ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने बच्चे की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया।

अन्वित के दादा-दादी के लिए यह क्षण बेहद दुखद है। दादी ने कहा, मेरा लाडला हमें छोड़कर चला गया। इस उम्र में भगवान ने यह दुख क्यों दिखाया?” पड़ोसी महिलाएं उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की, लेकिन उनका दुख कम नहीं हो पाया।

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