गुजरात: क्या है PM मोदी की यूनिवर्सिटी डिग्री का मामला? हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

अहमदाबाद: गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) द्वारा दायर याचिका से संबंधित एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ये फैसला केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश के खिलाफ दायर याचिका में रखा गया है. जानकारी के अनुसार इस याचिका में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को पीएम मोदी की MA की […]

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गुजरात: क्या है PM मोदी की यूनिवर्सिटी डिग्री का मामला? हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

Riya Kumari

  • February 9, 2023 8:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

अहमदाबाद: गुरुवार को गुजरात उच्च न्यायालय ने गुजरात विश्वविद्यालय (जीयू) द्वारा दायर याचिका से संबंधित एक मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ये फैसला केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश के खिलाफ दायर याचिका में रखा गया है. जानकारी के अनुसार इस याचिका में दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को पीएम मोदी की MA की डिग्री के बारे में जानकारी देने के लिए कहा गया था.

शैक्षणिक योग्यता का खुलासा

सॉलिसिटर जनरल ने हाई कोर्ट को बताया कि “इस मामले में छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है. हालांकि डिग्री सार्वजनिक डोमेन में है और आरटीआई के तहत किसी तीसरे व्यक्ति को प्रति देने के लिहाज से कोई बाध्यता नहीं है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें ये पूरा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ा हुआ है. दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षिक योग्यता का विवरण सार्वजनिक करने के लिए CEO को एक पत्र लिखा था. केजरीवाल के इस पत्र में कहा गया था कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक डोमेन में लेकर आना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और केजरीवाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता पर्सी कविना ने इस पूरे मामले में अपनी-अपनी दलीलें गुजरात हाई कोर्ट में सुनाई. इसके बाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है.

क्या बोले तुषार मेहता?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हाई कोर्ट को बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री पब्लिक डोमेन में पहले से ही है. लेकिन RTI के तहत डिग्री के लिए किसी तीसरे व्यक्ति को खुलासा करने के लिए कोई भी व्यक्ति बाध्य नहीं है. सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा, “विश्वविद्यालयों को भी अपने छात्रों की डिग्रियों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. खासकर तब जब कोई जनहित का सवाल न हो।”

क्या बोला केजरीवाल का वकील

दूसरी ओर सीएम केजरीवाल के वकील, पर्सी कविना ने पूछा कि जब PMO के कार्यालय के PIO को निर्देश जारी किया गया था, जिसने आदेश को चुनौती नहीं दी थी, तो गुजरात विश्वविद्यालय अदालत तक इस मामले को लेकर क्यों आया? उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव में उम्मीदवार बनने के बाद शैक्षिक योग्यता का खुलासा कानून द्वारा अनिवार्य है।

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