नई दिल्ली: नोएडा के एक स्कूल में बच्ची के साथ डिजिटल रेप के बाद हंगामा मचा हुआ है. आखिर डिजिटल रेप क्या है और इसमें कितने साल तक की सजा हो सकती है? आपको बता दें कि डिजिटल रेप एक गंभीर अपराध है, जिसे भारतीय कानून में परिभाषित किया गया है। डिजिटल रेप, डिजिट और रेप से बना है. डिजिट को हिंदी में अंक कहा जाता है, वहीं अंग्रेज़ी शब्कोश के अनुसार डिजिट को अंगो का नाम दिया जाता है. यानी कि पेनिस से इतर अन्य अंगों द्वारा किये गए पेनिट्रेशन डिजिटल रेप कहा जाता है. इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है।
डिजिटल रेप की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं, लेकिन कई मामलों में पीड़िताओं को यह समझ नहीं आता कि उनके साथ क्या हुआ है। इस अपराध को कई बार परिवार के सदस्यों, करीबी रिश्तेदारों या मित्रों के द्वारा भी अंजाम दिया जाता है, जिससे पीड़िताओं के लिए न्याय की मांग करना और भी कठिन हो जाता है।
2013 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत, डिजिटल रेप को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया और इसे धारा 375 के तहत अपराध माना गया। इसमें कहा गया है कि अगर बिना सहमति के महिला के निजी अंगों में उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली को प्रवेश कराया जाता है, तो उसे रेप माना जाएगा और इसके लिए वही सजा दी जाएगी जो सामान्य रूप से बलात्कार के मामलों में दी जाती है।
डिजिटल रेप की सजा भी कठोर है, जिसमें अपराधी को 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा पीड़िता को मानसिक और शारीरिक आघात से उबारने के लिए विशेष कानूनी और काउंसलिंग भी उपलब्ध कराई जाती है। डिजिटल रेप जैसे अपराध से निपटने के लिए जागरूकता और सख्त कानून की आवश्यकता है, ताकि पीड़िताओं को न्याय मिल सके और इस तरह के अपराधों पर रोक लगाई जा सके।
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