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ममता सरकार को कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, मोहन भागवत की रैली को बंगाल में मिली एंट्री

कोलकाता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को पश्चिम बंगाल के बर्धमान में रैली करने की अनुमति दे दी है। यहां 16 फरवरी 2025 को RSS की रैली होनी है, जिसके लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

MAMATA BANERJEE AND Mohan Bhagwat
  • February 14, 2025 6:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 month ago

पश्चिम बंगाल : कोलकाता हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को पश्चिम बंगाल के बर्धमान में रैली करने की अनुमति दे दी है। यहां 16 फरवरी 2025 को RSS की रैली होनी है, जिसके लिए पश्चिम बंगाल पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद RSS ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मिडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोलकाता हाईकोर्ट के जज ने बंगाल सरकार की आपत्ति को खारिज करते हुए आरएसएस की रैली को सशर्त अनुमति दी है। इस रैली में RSS प्रमुख मोहन भागवत के भी शामिल होने की संभावना है।

लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक

कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि रैली शांतिपूर्ण तरीके से निकाली जानी चाहिए और आवाज कम रखी जानी चाहिए। बंगाल पुलिस ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि इस समय बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (WBBSE) द्वारा आयोजित 10वीं की परीक्षा चल रही है और इसलिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक है। जज ने कहा कि रविवार को आरएसएस की रैली होनी है और कार्यक्रम सिर्फ 1 घंटा 15 मिनट का होगा, इसलिए कोर्ट को नहीं लगता कि इससे किसी को असुविधा होगी। कोर्ट ने रैली को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने और साउंड कम रखने का आदेश दिया। यहां रैली के बाद मोहन भागवत क्षेत्रीय आरएसएस नेताओं, स्थानीय कार्यकर्ताओं और बर्धमान और आसपास के इलाकों के प्रमुख लोगों से भी मुलाकात करेंगे।

उद्देश्य राष्ट्रवाद को बढ़ावा देना

इन बैठकों में सामुदायिक आउटरीच, संगठनात्मक विकास, आरएसएस नेतृत्व और स्थानीय हितधारकों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। उनकी यात्रा देशभक्ति, आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और परिवार-उन्मुख प्रथाओं के माध्यम से समाजीकरण जैसे मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी।

आरएसएस के महासचिव जिष्णु बसु ने कहा कि मोहन भागवत की इस यात्रा का उद्देश्य हिंदू समुदाय के भीतर राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा देना, स्वदेशी चेतना को बढ़ावा देना और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है, जो एक प्रमुख राष्ट्रीय लक्ष्य है।

 

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