नई दिल्ली: क्या आप पहले कभी फरवरी में हद पार करने वाली गर्मी देखी थी? बहरहाल, आज से मार्च का महीना शुरू हो गया है। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि देश के ज्यादातर राज्यों में फरवरी के एक ही महीने में गर्मी रिकॉर्ड से ज्यादा हो गई है। सबसे ज्यादा समस्या उत्तर पश्चिम और मध्य भाग में रही, जहाँ अधिकतम तापमान सामान्य से 5 से 10 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा था। आने वाले समय में यह और भी खराब हो सकता है।
इस बार फरवरी में अल नीनो तापमान में बढ़ोतरी की वजह बना। अल नीनो को खराब मानसून के लिए जाना जाता है। अब अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने इस साल जून से दिसंबर तक अल नीनो के 55 से 60% की तीव्रता के साथ फिर से सक्रिय होने की चेतावनी दी है। अगर ऐसा होता है तो गर्मी और बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर पड़ेगा।
यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA ) के अनुसार, एल नीनो एक मौसम पैटर्न है जो प्रशांत महासागर से बनता है। सीधे शब्दों में कहें तो गर्म हो रहे प्रशांत महासागर को एल नीनो कहा जाता है, जो कि एक स्पेनिश शब्द है। इस वजह से गर्मी ज्यादा होती है, इससे पहले देश पिछले तीन साल से रेड नीना की चपेट में है। आपको बता दें, NOAA एक अमेरिकी वैज्ञानिक एजेंसी है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के वाणिज्य विभाग को रिपोर्ट करती है।
सरकार के तमाम उपायों के बाद भी भाव में कोई सुधार नहीं हुआ। इसी बीच एक और खबर आई है कि अचानक मौसम में बदलाव और बढ़ते तापमान के कारण महँगाई फिर से बढ़ेगी। जानकारों का कहना है कि अगर तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो जल्द ही सभी खाद्य पदार्थों के दाम आसमान छू सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं बढ़ती गर्मी का महंगाई पर क्या असर पड़ेगा।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती गर्मी और अल-नीनो प्रभाव के कारण हरी सब्जियाँ और महँगी हो जाएँगी। क्योंकि तापमान बढ़ने से सब्जी का उत्पादन अपने आप ही कम हो जाएगा। इससे बाजार में सब्जियाँ कम पहुँचेगी और दाम बढ़ेंगे। जानकारों के मुताबिक अभी 40 रुपये किलो वाली हरी सब्जी 30-40 फीसदी महँगी हो सकती है. ऐसे में आम लोगों का बजट प्रभावित होगा।
बता दें कि गर्मी के मौसम में ईंधन की खपत बढ़ जाती है। खासकर फसलों की सिंचाई में डीजल का इस्तेमाल बढ़ने लगा है। ऐसे में बढ़ती गर्मी से पेट्रोल और डीजल भी और महंगा हो जाएगा, जिसका सीधा असर महँगाई पर पड़ेगा। दरअसल, डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी बढ़ जाएगा। इससे फलों और सब्जियों सहित सभी खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ेंगी।
जानकारी के लिए बता दें, गर्मी बढ़ने के कारण लोग एयर कंडीशनिंग, कूलर लगाएँगे जिससे ऊर्जा उत्पादन पर असर होगा। बिजली की ज्यादा डिमांड से ताप थर्मल पावर प्लांट्स दबाव में आ जाएँगे और लोगों को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस गर्मी में पिछली बार के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा बिजली की माँग हो सकती है।
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